कुश्ती का एक मैच पर अनुच्छेद | Paragraph on A Wrestling Match in Hindi

प्रस्तावना:

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पिछले महीने हमारे शहर में कुश्ती का एक बडा रोचक मैच हुआ । यह मैच शशी और पूनम नाम के दो मशहूर पहलावानों के बीच था । दोनों पहलवान हमारे ही जिले के दो अलग-अलग गांवों के निवासी थे ।

दोनों ने ही कुश्ती में बड़ा नाम और शोहरत कमाई थी । हमारे शहर ही क्या, जिले भर में दोनों पहलवानों की धूम थी । इन दोनों पहलवानों के बीच कुश्ती के मैच की खबर ने सभी को बड़े सुखद आश्चर्य में डाल दिया । मैंने भी इस मैच को देखने का फैसला किया और नियत दिन की बेसब्री से प्रतीक्षा करने लगा ।

मैच का प्रबन्ध:

यह मैच हमारे स्कूल के मैदान में होना था । नियत समय के पूर्व से ही हजारों दर्शक मैदान में आ डटे । सभी लोग इन महान् पहलवानों के बीच कुश्ती के मैच की बड़ी उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे थे । अखाड़े की सीमा निर्धारित कर दी गई थी । अखाड़े के चारों ओर स्कूल के शिक्षकों और माननीय अतिथियों के लिए कुर्सियों लगा दी गई थी ।

प्रिंसिपल महोदय ने हमारे स्कूल के विद्यार्थियों को मैच देखने की इजाजत दे दी थी । उस दिन हमारे स्कूल की छुट्टी कर दी गई । इससे मैच के प्रति विद्यार्थियों की रुचि और भी बढ़ गई और वे सखा में उपस्थित थे ।

मैच का वर्णन:

निर्धारित समय पर शहर के गणमान्य अतिथि, हमारे प्रिंसिपल तथा अध्यापक अखाड़े के चारों ओर लगी कुर्सियों पर बैठ गए । उनके पीछे घेरा बनाकर हजारों की संख्या में दर्शक खड़े थे । अखाड़े के एक ओर हम विद्यार्थियों के लिए एक अलग घेरा बना दिया गया था ।

थोड़ी ही देर में दोनों प्रसिद्ध पहलवान अखाड़े की ओर आते दिखाई दिए । दोनों ही पहलवान ऊँचे कद के तथा बड़े बलवान युवा दीखते थे । उनकी मासल भुजायें तथा माँस-पेशियाँ देखते ही बनती थी । उनकी आखों में एक विशेष तेज और आकर्षण था । उनकी बोली बड़ी मृदु थी । उनकी चाल-ढाल में एक विशेष मोहकता थी ।

निर्धारित समय पर दोनों ही पहलवानों ने एक-दूसरे से हाथ मिलाया और मैच का प्रारंभ हो गया । हमारे स्कूल के प्रिंसिपल अपने समय के मशहूर पहलवान थे । उन्होंने कई कुश्तियो में नाम कमाया था । इस मैच के वे ही रेफरी बनाए गए ।

दोनों पहलवान ट्रक-दूसरे से गुँथ गए । दोनों ही एक-दूसरे को पछाड़ने का प्रयास करने लगे । इस मैच में दोनों ही पहलवानों की इज्जत दाव पर लगी थी । इसके अलावा ईनाम का भी सवाल था । हमारे शहर की नगर पालिका के चैयरमैन ने विजेता पहलवान को एक हजार रुपये इनाम देने की घोषणा की थी । अन्य कई रईसो ने भी ईनाम घोषित किए थे ।

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अत: दोनों ही पहलवान अपनी पूरी शक्ति से कुश्ती लड़ रहे थे । मैच के दौरान कई बार ऐसा लगा कि शशी पूनम को पछाड़ देगा, लेकिन पूनम भी कम नहीं था । उसने मार्क के दाँव पेच दिखाए और शशी के प्रयासों को नाकाम कर दिया ।

कई बार पूनम का पलड़ा भारी दिखा लेकिन शशी ने कोई भूल नहीं की । इस प्रकार आधा घटा बीत गया । कोई भी पहलवान हारता या जीतता नहीं दिखाई दे रहा था । दोनों ही पहलवानों के प्रशसक अपने नायकों को बढावा दे रहे थे । इसरने मैच का आकर्षेण और भी बढ़ गया । ऐसा लग रहा था इस मैच में कोई निर्णय नहीं हो सकेगा ।

कुछ मिनट और बीते । इस बीच शशी का भाग्य ने साथ दिया । वह पूनम को गर्दन से पकडने में कामयाब हो गया और उसने उसे जमीन पर धर पटका । पूनम ने खड़े होने की बडी कोशिश की और खूब जोर आजमाया । लेकिन शशी ने धोबी पाट का दाँव लगा कर उसे जमीन पर चित्त कर दिया । अखाड़े के चारों ओर से खूब तालियां पिटने लगी ।

प्रिंसिपल महोदय उठकर अखाड़े में आए और उन्होंने शशी की पीठ ठोक न्हर उसे शाबासी दी और उसे मैच में विजयी घोषित कर दिया । शहर की नगरपालिका के चेयरमैन ने शशी को ईनाम त्हो धनराशि भेंट की । अन्य रईसों ने भी एक-एक करके अपनी घोषित धनराशि शशी को प्रदान की ।

उपसंहार:

शशी के प्रशंसकों ने हर्षित होकर शशी को अपने कैसा पर उठा लिया । ते उसे कंधो पर उठाए एक जुलूस की शक्ल में शहर के मुख्य बाजारों से गुजरे और उसकी जय-जयकार करते रहे । वे रास्तेभर हर्ष से नाचते-गाते रहे । किसी ने पूनम की ओर ध्यान नहीं दिया । सच हो है कि सभी विजयी का गान करते हैं और चढ़ते सूरज को हो अर्क चढ़ाते हैं ।

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