डिस्ट्रिक्ट बोर्ड पर अनुच्छेद | Paragraph on The District Board in Hindi
प्रस्तावना:
डिस्ट्रिक्ट बोर्ड नगरपालिका की तरह की ही एक सरथा होती है, जिसके कुछ सदस्य चुने हुए तथा कुछ सरकार के द्वारा कानून के अधीन मनोनीत किए जाते हैं ।
ये बोर्ड समग्र रूप में जिले की जनता के कल्याण के कुछ महत्त्वपूर्ण मामलों की देखभाल करते हैं । नगरपालिकायें शहरों के निवासियों के कल्याण का काम करती है, जबकि डिस्ट्रिक्ट बोर्ड जिले के ग्रामीणों के कल्याण और सुविधाओं का प्रबन्ध करते हैं ।
गठन का इतिहास:
डिस्ट्रिक्ट बोर्ड का गठन ब्रिटिश राज्य के दौरान किया गया था । इनके निर्माण का श्रेय लॉर्ड रिपन को है, जो उस समय भारत के वाइसराय थे । प्रारम्भ में इसके लगभग सभी सदस्य जिले के डिप्टी कमीशनर की सिफारिश पर सरकार द्वारा मनोनीत किये जाते थे । डिप्टी कमीशनर स्वयं ही डिस्ट्रिक्ट 298 डिस्ट्रिक्ट बोर्ड बोर्ड का चेयरमैन होता था ।
1921 के बाद से इनके गठन में कई बार अनेक परिवर्तन किए गये हैं । स्वतन्त्रता के बाद से डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के अधिकाश सदस्य गांवो द्वारा चुने जाते हैं । जिले के संसद-सदस्य तथा विधान सभा के लिए चुने गए सदस्य इसके पदेन सदस्य होते हैं ।
डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के सदस्यों के चुनाव के लिए जिले के सभी गाँवों को कुछ वर्गो में बाँट दिया जाता है । गाँवों का प्रत्येक वर्ग डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के सदस्य का चुनाव करता है । सरकार कुछ सदस्यों को मनोनीत करती है । जिले के विधायक तथा ससन-सदस्य, चुने हुए तथा मनोनीत सदस्यों को मिला कर डिस्ट्रिक्ट बोर्ड का गठन होता है ।
डिस्ट्रिक्ट बोर्ड का अध्यक्ष पहले जिले का डिप्टी कमीश्नर होता था, लेकिन बहुत-से राज्यों ने अब कानून बनाकर अध्यक्ष के चुनाव की व्यवस्था कर दी है । डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के सभी सदस्य मिलकर अपने में से ही एक अध्यक्ष का चुनाव कर लेते हैं ।
डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के कार्य:
स्वतन्त्रता के बाद डिस्ट्रिक्ट बोर्डों को पहले की अपेक्षा बहुत अधिकार सौंप दिए गये हैं । अब जिले की सम्पूर्ण जनता के कल्याण की पूरी जिम्मेदारी इनके पास है । इनका सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की व्यवस्था करना है ।
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मुख्य रूप से गाँवों में मिडिल स्कूल तक की शिक्षा, स्त्रियों तथा प्रौढ़ो की शिक्षा का उत्तरदायित्व डिस्ट्रिक्ट बोर्ड का है । इस तरह ग्रामीण जनता की स्थिति सुधारने में ये बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । इनका दूसरा कार्य जिले के गावों को मुख्य सडको को जोड़ने के लिए पक्के मार्गों का निर्माण तथा उनका समुचित रख-रखाव है । सड़कें ग्रामीण सचार का मुख्य साधन हैं और इन्हीं के सहारे जिले के वाणिज्य-व्यापार और उद्योगों की उन्नति हो सकती है ।
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इसका तीसरा महत्त्वपूर्ण कार्य ग्रामीण जनता के स्वारथ्य ओर सफाई का प्रबन्ध करना है । गाँवो में स्वास्थ्य केन्द्रों का खोलना, प्रसूति और शिशु सदनो का प्रबंध, अस्पताल और डिस्पेंसरियो आदि का निर्माण यही करते हैं । आमदनी के साधन उपर्युका कार्यों को पूरा करने के लिए बडी मात्रा में धन की आवश्यकता होती है ।
डिस्ट्रिक्ट बोर्ड कुछ प्रकार के कर लगा कर धन प्राप्त करते हैं । इनके द्वारा लगाए गए कर स्थानीय कर कहलाते हैं । इन करों से इतनी आमदनी नहीं हो पाती कि वे अपना उत्तरदायित्व ठीक से निभा सके । राज्य सरकारें अनुदान देकर इतनी सहायता करती हैं ।
उपसंहार:
इस प्रकार हम देखते हैं कि डिस्ट्रिक्ट बोर्डों को बड़े महत्त्व के काम सौंपे गए हैं । देश की ग्रामीण जनता के उत्थान का प्रमुख उत्तरदायित्व इनके कधों पर है । यदि वे सुचारु रूप से अपना करे, तो थोड़े ही समय में देश का नक्शा बदल सकता है । लेकिन खेद है कि अन्य स्थानीय सस्थाओं की तरह डिस्ट्रिक्ट बोर्ड भी अपना काम सुचारु रूप से नहीं चलाते ।
यही की दलबन्दी भाई-भतीजावाद जाति जैसी अनेक बुराइयाँ व्याप्त हैं, जिनसे इनका काम ठीक नहीं चलता । यदि ग्रामीण जनता सच्चे ईमानदार, कर्मठ शिक्षित और देश-प्रेमी लोगों को चुनकर भेजे, तभी इनका उद्धार हो सकता है ।