बैलगाड़ी से यात्रा पर अनुच्छेद | Paragraph on Travel by Bullock-Cart in Hindi

प्रस्तावना:

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आजकल बैलगाड़ी यात्रा का सबसे सुरत या धीमा साधन है । आजकल बैलगाड़ी का स्थान रेलों, मोटर गाडियों तथा बसो आदि ने ले लिया है ।

आजकल हम बैलगाड़ी से बहुत कम यात्रा करते हैं, क्योंकि इसमे समय बहुत लगता है । लेकिन कुछ भी क्यों न हो, बैलगाड़ी की यात्रा का अपना विशेष आनन्द है जो रेलगाड़ी, बस अथवा अन्य किसी सवारी से कतई नहीं मिल सकता ।

यात्रा का अवसर और समय:

मैं देहात में रहता हूं । यही यात्रा का प्रमुख साधन बैलगाड़ी होता है । मैंने भी कई बार बैल से यात्रा की है । लेकिन पिछले वर्ष जिस बैलगाड़ी की यात्रा का अवसर मुझे मिला, वह विशेष रूप से उल्लेखनीय है । मेरे एक मित्र ने अपने बड़े भाई की शादी पर मुझे निमन्त्रित किया था । शादी गांव में जून के महीने में होनी थी ।

मैं उनके गाँव शादी वाले दिन प्रात: पहुंच गया । सारे छुरी की विभिन्न रस्में होती रहीं । शाम लगभग साढ़े साल बजे सभी बाराती अपने-अपने सामान के साथ तैयार होकर आ गए । दरवाजे पर जती हुई बैलगाडियाँ लगी थीं । लोग अपने-अपने सामान के साथ बैलगाड़ी में बैठ गए ।

बैलगाड़ी सताश पूरी हो जाने पर वह आगे बढ़ जारती और उसकी जगह एक उँ।न्य बैलगाड़ी आ जाती । मैं अपने 3-4 मित्रों के साथ एक अच्छी बैलगाड़ी पर बैठ गया । जब सभी बाराती बैलगाडियों पर बैठ गये तो बैलगाडियों चल निकली और आठ बजे तक पक्की सड़क पर आ गईं ।

रास्ते के दृश्य:

बैलगाड़ी हिचकोले लेती चल रही थी । बैलों के गले में घंटियां बंधी थी । हिचकालो और घटियों की मधुर धुन के साथ मैं नजारा देखता हुआ चल रहा था । पूनम का चांद आसमान में चमक रहा था । चारों ओर शीतल चांदनी छिटकी हुई थी । नीला आसमान एकदम साफ था । कुछ दूरी से मुझे बंसी की मधुर तान सुनाई दी । बैलगाड़ी के बढ़ने के साथ बसी की धुन भी तेज सुनाई देने लगी ।

कोई ग्रामीण बड़ी तन्मयता से बसी की धुन बजा रहा था । ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी जिससे हम सबको बड़ी राहत मिल रही थी । प्राकृतिक छटा बड़ी मनोहरी थी । एकाएक हमारी बैलगाड़ी में बैठे एक व्यक्ति ने माचिस जला दी और वह कुछ ढूंढने लगा । जैसे ही मेरी नजर उस व्यक्ति के चेहरे पर पडी मैं बड़े आश्चर्य में पड़ गया ।

व्यक्ति काणा था । मेरी दादी कहा करती थी कि यात्रा पर जाते समय मार्ग में कोई काणा मिल जाए, तो यात्रा सकुशल समाप्त नहीं होती । यह व्यक्ति तो मेरी गाड़ी पर ही बैठा था । फिर यात्रा कैसे सकुशल बीत सकती थी । इस विचार से मैं बड़ा उदास और बैचेन हो गया । गाड़ी चलती रही, लेकिन अब मुझे कोई आनन्द नहीं आ रहा था ।

मार्ग की दुर्घटना:

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हम सभी लगभग दो किलोमीटर दूर ही निकले थे कि सामने से एक फौजी ट्रक आता दिखाई दिया । वह बड़ी तेज रफ्तार से आ रहा था, उसकी तेज आवाज से बैल घबरा गए और चलते-चलते एकदम रुक गए । गाड़ीवान ने उन्हें चलाने का भरसक प्रयास किया और पूँछ ऐंठी, लेकिन वे टस-से-मस न हुए ।

ज्यों ही तेज शोर करता ट्रक बैलगाडियों के पास से निकला, बैल एकदम भड़क गए । वे दम छोड़कर एकदम भाग पड़े और सड़क छोड़ खेतों में घुस गए । हम सभी “बचाओ ! बचाओ” की आवाज निकालते चीख पड़े । चारों ओर चीखे सुनाई देने लगीं । बारात के अन्य व्यक्ति इन बैलों के भड़क कर भागने से बड़े भयभीत हो गए ।

वे हमारी सहायता को दौड़े । मेरी गाड़ी के बैल भी भड़क कर भाग रहे थे । बैलगाड़ी खूब हिचकोले ले रही थी । मुझे अब हिचकोले की तो कोई चिन्ता नहीं थी मैंने गाड़ी का बीरन बड़ी मजबूती से पकड़ लिया । मैं भगवान् को याद करने लगा, बैल अभी भी भाग रहे थे । गाड़ीवान बैलों को रोकने का भरसक प्रयत्न कर रहा था ।

कुछ देर में एक गड्‌ढा आ गया । बैलगाड़ी गड्‌ढे में गिरकर उलट गई । मैं जमीन पर गिर पड़ा । गाड़ी चूर-चूर हो गई । काले व्यक्ति को सिर पर चोट लगी । मेरी टाँग में घाव हो गया, लेकिन हड्‌डियाँ सलामत रहीं । गाड़ीवान ऐन वक्त पर गाड़ी से कूद गया था, इसलिए उसे कोई चोट नहीं लगी । अन्य व्यक्तियो को भी केवल कुछ खरोंचे आई थीं ।

उपसंहार:

कुछ ही मिनटों में अन्य बाराती हम तक पहुँच गये । उन्होंने हमें उठाया और घावों पर कपड़ा बाँधकर हमें अन्य गाडियों में बैठा दिया । गाड़ीवान को बैलों की सुरक्षा के लिए छोड़कर अन्य बैलगाडियों फिर चल पडीं ।

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