यात्रा के विभिन्न साधन पर अनुच्छेद | Paragraph on Various Means of Travel in Hindi

प्रस्तावना:

आदमी एक सामाजिक प्राणी है । वह अपने नाते-रिश्तेदारों मित्रों तथा अन्य हितैषियों से मिलने को सदैव उत्सुक रहता है । इस हेतु उसे यात्रा करनी पड़ती है । अपने व्यापार और काम-धंधे के सिलसिले मे भी अनेक यात्रायें करनी पड़ती हैं ।

प्राचीन काल में आम लोग लम्बी यात्राओं पर नहीं निकलते थे, क्योंकि उन दिनो न तो अच्छी सड़कें ही थीं और न यात्रा के इतने तीव्र साधन ही थे । इसके अलावा मार्ग सुरक्षित भी नहीं थे । रास्ते में अनेक व्यापारी लुट जाते थे और बहुतों को जान तक गवानी पड़ जाती थी ।

यात्रा के प्राचीन साधन:

अति प्राचीन काल में यात्रा के लिए मनुष्य केवल अपनी टांगो का सहारा लेता था । लेकिन टाँगों की मदद से वह बहुत दूर तक नहीं जा सकता था । थोड़ी दूर चलने पर ही थकावट हो जाती थी । अत: वह टांगों पर चलने से कभी सतुष्ट नहीं हुआ ।

इसके बाद मनुष्य ने जंगल से कुछ पशु पकड़े और उन्हें पालना शुरू किया । अब उसने यात्रा के लिए पशुओं का सहारा लिया । घोड़े, ऊँट, हाथी, बैल, भैंस, गधा, टट्टू और याक जैसे अनेक पशुओं की पीठ पर बैठकर मनुष्य ने यात्रा प्रारभ की ।

आज तक ये पशु सदियो से हमारी सेवा कर र३ए है । मैदानी इलाकों में पैदल, घोड़े की पीठ पर अथवा बैलगाड़ी में यात्रा की जा सकती थी । लेकिन रेगिस्तानो में केवल ऊँट ही यात्रा का साधन है । पहाडों पर हम टट्‌टू या याक की सहायता ले सकते हैं ।

बैलगाड़ी-घोड़ा और टट्टू:

गाँवों में पक्की सड़के नहीं होती थी । अत एक स्थान से दूसरे स्थान तक आने-जाने के लिए बैलगाड़ी काम में लाई जाती है । इसी तरह पठारी क्षेत्रों में हम घोड़े या टट्‌टू की मदद से यात्रा कर सकते हैं ।

याक:

तिबत जैसे पहाड़ी और पठारी क्षेत्र में यात्रा के काम में केवल याक ही आ सकता है । उन्नीसवीं शताब्दी के उान्त तक ये पशु हमारी यात्रा के प्रमुख साथी थे ।

आज पशुओं का महत्त्व कम हो गया है:

आधुनिक युग में यात्रा के साधन के रूप में पशुओं का महत्त्व बहुत कम रह गया है । लम्बी दूरी की यात्राओं में इसका उपयोग बिल्कुल नहीं होता । ऐसी यात्रायें रेलगाड़ी या बसों अथवा कारों द्वारा की जाती हैं । इसका कारण यह है कि यात्रा के पुराने साधन बहुत धीमे थे और उनरने यात्रा करने में अनेक संकटों का सामना करना पड़ता था । इसके अलावा मार्ग में जंगली जानवरों, चोरों और डाकुओं के हमले रने भी खतरा बना रहता था ।

स्त्रियों के साथ अथवा धन लेकर यात्रा करना तो और भी कठिन था । इसलिए जब भाप के इंजन का आविष्कार हा गया, तो इसका बड़ा स्वागत हुआ । इसने धरती और समुद्र दोनों पर ही यात्रा के साधनो में अमूल-मूल परिवर्तन ला दिया ।

आज के यात्रा साधन

(क) ट्रेन और मोटरकार तथा बस:

आज यात्रा के लिए पशुओं और उनकी गाड़ियों का स्थान रेलगाड़ियों और मोटर, करो और कारों ने ले लिया है । ये यात्रा के बड़े सुरक्षित साधन है । इन साधनों से लम्बी यात्रा भी बहुत कम समय मे पूरी हो जाती है ।

ADVERTISEMENTS:

ट्रेन और बस में यात्रा बड़ी आरामदायक होती है । अब ट्रेनों में रात के समय यात्रियों के सोने की व्यवस्था भी रहती है । यात्रा के दौरान अब हमें न जान का खतरा रहता है और ने धन-संपत्ति लूटे जाने का ।

(ख) वायुयान:

ADVERTISEMENTS:

वायुयान के आविष्कार ने यात्रा को बहुत तेज गति प्रदान कर दी है । दिन-पर-दिन वायु-मार्ग छोटे हो रहे है और वायुयानों की यात्रा अधिक सुरक्षित और शीघ्रता से पूरी हो जाती है । वायुयानों में तरह-तरह की सुविधायें उपलब्ध होती हैं । अब हम हवा में पक्षियों की भांति उड़ सकते है ।

आज इतनी तेज गति के वायुयान हैं कि उनसे 800 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दूरी तय की जा सकती है । लेकिन वायु-यात्रा का किराया बहुत अधिक होता है । इसलिए केवल धनी लोग ही इस साधन को काम में ला सकते हैं ।

साइकिल और रिक्शा:

इसमें कोई शक नहीं कि यात्रा के आधुनिक साधनों ने विश्व के देशों को बहुत नजदीक ला दिया है । कुछ घंटो में ही विश्व के एक कोने से दूसरे कोने में पहुँचा जा सकता है । लेकिन शहरों और गाँवो में थोड़ी की यात्रा में साइकिल और रिक्शा का भी बड़ा महत्च है ।

ये यात्रा के सबसे सस्ते साधन हैं । युवा लड़के-लड़कियाँ साइकिल की सैर करके बड़े आनंदित होते हैं । रिक्शा हमें ऐसे स्थानों की सैर करा सकता है, जहाँ अन्य कोई साधन नहीं जा सकता । इनका किराया भी कम होता है । धीरे-धीरे रिक्शों का स्थान तिपहिए स्कूटर लेने लगे हैं । इनसे समय और शक्ति दोनों की ही बचत होती है ।

उपसंहार:

आज हमारे विशाल देश में यात्रा के सभी पुराने व नए साधन उपलब्ध है । एक ओर धनी व्यक्ति आराम से वायु-यात्रा करते हैं, तो दूसरी अऊाएर गरीब अभी भी मीलों की यात्रा अपनी टांगों पर करते हैं । धोबी और कुम्हार को अपने गधे पर बड़ा गर्व होता है और वह इन्हीं पर सामान ढोता है । घोडों की सवारी, आज भी बड़े शान की सवारी मानी जाती है ।

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