लाल बहादुर शास्त्री पर अनुच्छेद | Paragraph on Lal Bahadur Shastri in Hindi

प्रस्तावना:

श्री लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधान मंत्री थे । वे भारत के राष्ट्र-निर्माताओं में से एक थे । वे महान देश भक्त थे ।

उनका जन्म:

उत्तर प्रदेश के मुगलसराय नामक स्थान पर 2 अक्टुबर 1904 को उनका जन्म हुआ । उनके पिता सम्माननीय कायस्त परिवार के थे । वे शिक्षक का काम करते थे । जब उनकी आयु केवल डेढ़ वर्ष ही थी, पिता की मृत्यु हो गई । विधवा होकर उनकी मां अपने पिता के पास चली गई । यहीं नाना की देखरेख में उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई ।

उनका राजनैतिक जीवन:

बचपन से ही वे भारत की स्वतन्त्रता के राष्ट्रीय संघर्ष में बड़ी रुचि रखते थे । जन्म से ही उनमे देशप्रेम कोई भावना कूट-कूट कर भरी थी । उनकी रग-रग में देश के प्रति प्यार समाया था । उन्होने देश के पहले असहयोग आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया और पढ़ाई छोड दी । 1920 में जब वे केवल 16 वर्ष के, थे जेल में बन्द कर दिए गए ।

अगले वर्ष उन्हें जेल से छुटकारा मिला । वे कांग्रेस के आंदोलनो में पूरे उत्साह से भाग लेते रहे । 1927 में 23 वर्ष की आयु में उनका विवाह हो गया । वे सर्वेन्ट्स ऑफ इण्डिया सोसाइटी के आजीवन सदस्य बन गए । 1935 में वे उतर प्रदेश की प्रातीय काँग्रेस कमेटी के महामंत्री चुने गए ।

1937 में उन्होने उत्तर प्रदेश की विधान सभा के चुनाव लड़े और उनमें भारी मत से सफल हुए । इस बीच में रनभी स्वतन्त्रता आन्दोलनों में सक्रिय रूप से हिस्सा लेते रहे । 1946 से 1951 तक उन्होंने उत्तर प्रदेश के गृहमन्त्री के पद पर काम किया । कर्त्तव्य के प्रति उनकी निष्ठा और निस्वार्थ सेवा को भावना ने जवाहरलाल नेहरू जैसे राष्ट्रीय नेताओं का ध्यान उनके प्रति आकर्षित किया ।

1951 में वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महामन्त्री चुने गए । 1952 में वे राज्य सभा के सदस्य बने । अब उन्हें परिवहन और रेल मन्त्री बना दिया गया । 1958 में व्यापार और उद्योग मन्त्री बनाए गए और 1961 में उन्होंने गृह मंत्रालय का कार्य भार संभाला । 1963 में कामराज योजना के अधीन उन्होंने मंत्रिपद त्याग दिया ।

प्रधान मन्त्री के रूप में उनके कार्य:

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1964 में पंडित जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के बाद शास्त्री जी प्रधानमत्री बने । वे केवल 18 महीने तक प्रधानमत्री के पद पर कार्य कर सके । विदेशी विभाग भी उन्हीं के अधीन था । जब वे प्रधान मंत्री बने, देश के सामने अनेक समस्याये थी ।

अपने शासन की थोडी अवधि में ही उन्होंने सिद्ध कर दिया कि उनके पास बडी-से-बडी समस्या का सामना करने कइईा अभूतपूर्व प्रतिभा और साहस है । असामाजिक तत्वों का सिर उन्होंने बड़ी सख्ती से कुचला ।

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उन्होने बड़ी दृढ़ता का परिचय दिया । देश में उस समय भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का बोल-बाला था । शास्त्री जी ने बड़ा स्वच्छ और स्वस्थ प्रशासन चलाया । उन्होने अनेक भ्रष्टाचार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की तथा बहुत-से लोगों को पद से हटा दिया ।

1965 के अन्त में उन्हें पाकिस्तानी हमले का सामना करना पड़ा । यह एक तरह का अघोषित युद्ध था । उन्होंने डटकर दुश्मन का मुकाबला किया । सेना को समूची सुविधायें प्रदान की गई । भारतीय सेना अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पार कर पाकिस्तान में घुस गई और वही के एक बड़े भू-भाग पर कब्जा कर लिया । बुरी तरह दुश्मन पराजित हुआ । इस विजय के बाद ताशकन्द समझौता हुआ, जो शास्त्री जी की सबसे बड़ी उपलब्धि है ।

उपसंहार:

ताशकन्द में ऐतिहासिक संधि पर हस्ताक्षर करने के तुरन्त बाद उसी रात उन्हें भयानक दिल का दौरा पड़ा और तत्काल उनकी मुत्यु हो गई । समूचा राष्ट्र शोक में डूब गया । उनकी मृत्यु ने देश का एक महान सपूत हमसे छीन लिया । भारत उनके सरल जीवन और निस्वार्थ सेवा से सदैव प्रेरणा लेता रहेगा ।

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