द्वारकानाथ कोटनिस पर निबंध | Essay on Dwarkanath Kotnis in Hindi

1. प्रस्तावना:

मानव सेवा में अपना सर्वस्व अर्पित करने वाले महान् विभूतियों में जिस भारतीय का नाम बड़े ही आदर और गर्व के साथ लिया जाता है, उनमें से एक थे-डॉ० कोटनीस ।

इस महान् डॉ० ने अपने मानवसेवी कार्यों से यह प्रमाणित किया कि मानवता देश और सीमाओं से भी कहीं अधिक बढ़कर है । पीडित और आहत मानवता की सेवा करते-करते अपने जीवन का बलिदान करने वाले इस महान् व्यक्तित्व को भारत ही नहीं, विश्व के लोग सदैव स्मरण करते रहेंगे ।

2. जीवन परिचय एवं योगदान:

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भारत में जन्मे डॉ० कोटनीस ने पांच वर्ष तक द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान चैयरमेन माओ की गुरिल्ला सेना में रहकर चीनी सैनिकों की सेवा की थी । डॉ० कोटनीस एक ऐसे धैर्यवान, कर्तव्यनिष्ठ डॉक्टर थे, जिन्होंने घायल सैनिकों की दिन-रात बिना खाये-पिये सेवा की । उस युद्ध में मारे गये सैनिकों के क्षत-विक्षत शवों के बीच पड़े हुए जिन्दगी की लड़ाई लड़ने वाले घायल लोगों की उन्होंने अनथक सेवा की ।

उस समय चिकित्सा और उपचार के सीमित साधन थे । राहत शिविरों में प्रकाश तथा साधनों के अभाव में लैम्पों की रोशनी में काम करना बेहद कठिन था, किन्तु उनका सेवाभाव इतना अधिक प्रबल था कि वे अधिक-से-अधिक सैनिकों की प्राणरक्षा करना चाहते थे । एक भारतीय डॉक्टर को इस तरह काम करते देखकर चीनी उनकी प्रशंसा करते नहीं अघाते थे ।

कुछ शंकालु किस्म के लोगों को उनकी मानव सेवा पर आपत्ति होती थी । यहां तक कि उन्होंने एक चीनी महिला को पुरुष वेश में उनके साथ एक सहायक के रूप में रखा, ताकि उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके । उनका यह षड्‌यन्त्र विफल रहा; क्योंकि पुरुष वेश में उनके सहायक के रूप में काम रही चीनी महिला को उनकी ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा एवं मानवसेवी भावना में कोई खोट नहीं लगी ।

वह उनके व्यक्तित्व से इस कदर प्रभावित हुई कि उसने उनकी जीवनसंगिनी बनने का निर्णय लिया । डॉक्टर कोटनीस के मानवतावादी कार्यों की स्मृति में चीन सरकार ने होपे प्रान्त के एक अस्पताल में डॉक्टर कोटनीस मेमोरियल हॉल का निर्माण करवाया । चीनी लोग उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय सैनिक और चीनी जनता का मित्र मानते हैं ।

3. उपसंहार:

डॉ० कोटनीस ने देश, जाति व धर्म की सीमाओं से परे जाकर मानवता की सच्ची सेवा में अपने प्राणों का बलिदान दे दिया । वे वहां फैली प्लेग जैसी महामारी का शिकार बन गये । दिन-रात की सेवा में उनका स्वास्थ्य गिरता ही चला गया ।

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