मदर टेरेसा पर निबन्ध | Essay for Kids on Mother Teresa in Hindi!

1. भूमिका:

निःस्वार्थ भाव से समाज के पिछड़े हुए लोगों की सेवा करने वाले समाजसेवियों में मदरटेरेसा का नाम बड़े ही आदर और सम्मान से लिया जाता है । लोगों की सेवा करने के लिए जाति इए धर्म और देश की सीमा की भावना छोड़कर पूरी दुनिया को एक परिवार मानना जरूरी है, ऐसी सीख हमें मदर टेरेसा के जीवन से मिलती है ।

1. जन्म और शिक्षा:

मदर टेरेसा का जन्म अल्वानिया के एक किसान परिवार में सन् 1910 ई. में हुआ था । उनके बचपन का नाम था एग्नेस । उनकी शिक्षा-दीक्षा माता-पिता के संरक्षण (Guardianship) में पहले घर पर तथा बाद में आयरलैंड के लोरेटो संघ में हुई ।

3. कार्यकलाप:

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एग्नेस को बचपन से ही दीन-दुखियों और बीमासे की सेवा करने का बड़ा शौक था । अत: उनकी इच्छानुसार लोरेटो संघ ने कुछ अन्य लड़कियों के साथ उन्हें कोलकाता भेज दिया । यहाँ पर उन्होंने संघ के नियमों को छोड्‌कर अपने ढंग से सेवा आरभ की ।

एग्नैस अब टेरेसा बन चुकी थी । उन्होंने एक अमरीकी संस्था में नर्स की ट्रेनिंग ली और कोलकाता लौटकर एक झोपड़ी में रहकर अपना कार्य शुरू किया । फिर एक काली मंदिर की धर्मशाला में रहकर बीमारों की सेवा करने लगीं । इसके बाद उन्होंने अपनी संस्था ‘मिशनरी औरचैरिटी’ आरम्भ की ।

इस संस्था में कई हजार लड़कियाँ उनसे प्रेरित । प्र दुष्ट । प्छत होकर सेवा-कार्य के लिए शामिल हो गईं । मदर टेरेसा ने अनाथ बच्चों, विधवाओं और रोगियों के लिए अनेक स्थानों पर केंद्र खोले । आज नेपाल, पाकिस्तान, मलाया, यूगोस्लाविया, माल्टा, इंग्लैंड, दक्षिणी अमेरिका में मदर टेरेसा के सेवा केंद्र काम कर रहे हैं ।

मदर टेरेसा की निःस्वार्थ सेवा से प्रभावित होकर भारत सरकार ने उन्हें 1962 में पद्‌मश्री तथा 1980 में भारत-रत्न के सम्मान से विभूषित किया । 1979 में उन्हें नोबेल शान्ति पुरस्कार तथा 1971 में कैनेडियन राष्ट्रीय पुरस्कार तथा पोनजॉन शांति पुरस्कार प्राप्त हुए । इससे पहले 1962 में ही उन्हें मैग्सेसे पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था ।

4. उपसंहार:

मदर टेरेसा आज हमारे बीच नहीं रहीं किन्तु उनकी अटूट सेवा भावना से भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व प्रेरणा ले रहा है ।