शिक्षक पर निबंध | Essay on Teacher in Hindi!

शिक्षक बच्चों को ज्ञानवान और सुसंस्कृत बनाते हैं । बच्चा घर से निकल कर विद्‌यालय में प्रवेश लेता है तो शिक्षक की शरण में जाता है । विद्‌यालय में शिक्षक ही बच्चों के अभिभावक होते हैं । वे बच्चों को जीवन जीने की शिक्षा देते हैं । बच्चा शिक्षक का अनुगृहीत होता है एवं उन्हें अपना नमन अर्पित करता है ।

शिक्षक बच्चों के अंदर ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं एवं उनके अंदर के अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर देते हैं । बच्चे शिक्षक के समीप श्रद्धाभाव से जाते हैं ताकि वे ज्ञान के समुद्र में गोते लगा सकें । कहा भी गया है कि ‘ श्रद्‌धावान् लभते ज्ञानम्। ‘ अर्थात् श्रद्‌धावान् को ज्ञान प्राप्त होता है । यदि विद्‌यार्थी के अंदर श्रद्‌धा होती है तो शिक्षक उसे अपना समस्त ज्ञान देते हैं ।

शिक्षक का दायित्व बहुत बड़ा है । वह मानव-समाज को सही दिशा दे सकता है । आज के बच्चे कल का भविष्य होते हैं । यदि बच्चे पढ़े-लिखे होंगे तो वे देश का नाम रौशन करेंगे । यदि वे सुसंस्कृत होंगे तो देश सभ्य बनेगा । यदि शिक्षक बच्चों में अच्छे संस्कार डालेंगे तो उससे देश को लाभ होगा । शिक्षा चारों तरफ फैले, कोई भी बच्चा अशिक्षित न रहे इसका भार शिक्षकों पर है । शिक्षक चाहें तो ऐसे समाज का निर्माण कर सकते हैं जिसमें ऊँच-नीच, जातिगत भेदभाव, ईर्ष्या, वैमनस्य आदि दुर्गुणों का कोई स्थान न हो । कबीरदास जी कहते हैं –

गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि-गढ़ि काई खोट ।

अंतर हाथ सहारि दे, बाहर मारे चोट ।।

ADVERTISEMENTS:

अर्थात् गुरु कुम्हार और शिष्य घड़ा है । जिस प्रकार कुम्हार यत्न से घड़े को सुघड़ बनाता है उसी तरह गुरु भी विद्‌यार्थियों के दोषों का परिमार्जन करता है । गुरु की कठोरता बाहरी होती है, अंदर से वह दयावान ‘और विद्‌यार्थी का शुभचिंतक होता है । इसलिए गुरु की डाँट-फटकार पर ध्यान नहीं देना चाहिए । गुरु विद्‌यार्थी का हमेशा भला चाहता है ।

आज प्राचीन गुरु-शिष्य परंपरा भले ही समाप्त दिखाई दे रही हो, शिक्षक का कर्त्तव्य अपनी जगह कायम है । शिक्षा प्राप्त करने के लिए आज भी लगन, परिश्रम, त्याग, नियमबद्धता, विनम्रता जैसे गुणों को धारण करने की आवश्यकता होती है । शिक्षक विद्‌यार्थियों को ऐसे गुणों से युक्त बनाते हैं । वे उनका मार्गदर्शन करते हैं । वे विद्‌यार्थियों की उलझन मिटाते हैं । उनमें साहस, धैर्य, सहिष्णुता, ईमानदारी जैसे गुणों का संचार करते हैं ।

ADVERTISEMENTS:

आज शिक्षा का फलक बड़ा हो गया है । इसमें नैतिक शिक्षा के साथ-साथ विषय ज्ञान और तकनीकी शिक्षा का समावेश हो गया है । अत : आवश्यक है शिक्षक विषय-ज्ञान और तकनीकी-ज्ञान में निपुण हों । इसके लिए शिक्षकों को उचित ट्रेनिंग दी जानी चाहिए । ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए जो योग्य हों । अज्ञानी शिक्षक विद्‌यार्थियों का भला नहीं कर सकते । जिन्हें स्वयं सही-गलत का पता नहीं, वे विद्‌यार्थियों को क्या शिक्षा दे सकते हैं ।

योग्य शिक्षक विद्‌यार्थियों का उचित मार्गदर्शन करते हैं । वे नियमित समय पर विद्‌यालय आते हैं । वे अपनी ऊर्जा केवल शिक्षा देने में व्यय करते हैं । वे कमजोर विद्‌यार्थियों का विशेष ध्यान रखते हैं । वे सादा जीवन और उच्च विचार के सिद्‌धांत का अनुसरण करते हैं । वे विषय-वस्तु को इतने सरल एवं प्रभावी ढंग से समझाते हैं कि बच्चे उनकी बातों को हृदय में धारण कर सकें । अध्ययनशीलता शिक्षकों का एक आवश्यक गुण है । वे निरंतर अध्ययन करते रहते हैं ताकि नई बातें सीखकर विद्‌यार्थियों को बता सकें । ऐसे योग्य शिक्षकों को समाज में उचित सम्मान मिलता है ।

योग्य शिक्षकों को सरकार सम्मानित करती है । शिक्षकों के सम्मान में प्रतिवर्ष 5 सितंबर का दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है । इस दिन विद्‌यालयों में विशेष समारोह होते हैं जिनमें बच्चों की भागीदारी होती है । राष्ट्रपति योग्य शिक्षकों को पदक और पुरस्कार देते हैं । राष्ट्र उन शिक्षकों को नमन करता है जो अज्ञानांधकार को दूर करने में सहायक होते हैं ।

Home››Relationships››Teacher››