विज्ञान एवं अंधविश्वास पर निबन्ध | Essay on Science and Superstitions in Hindi!

पिछले कुछ दशकों मैं विज्ञान के क्षेत्र में आश्चर्यजनक रूप से उन्नति हुई है । 19वीं सदी में ही विज्ञान के उज्जवल भविष्य के लक्षण प्रकट हो गए थे और 21वीं सदी का मानवजीवन तो विज्ञान पर ही आधारित है । जीवन के प्रत्येक क्षेत्र – कृषि, उद्योग, मनोरंजन, चिकित्सा, शल्य-चिकित्सा, शिक्षा में विज्ञान के कारण पूर्णत: परिवर्तन आ गया है ।

यूरोप और अमेरिका, रूस और जापान में अब कृषि प्रकृति की कृपा पर आधारित नही रही है । फसल के रोपण में सहायक पशुओं का स्थान विशाल ट्रेक्टरों ने ले लिया है और प्राकृतिक विकास की बजाय रासायनिक खादों के माध्यम से विकास की क्रिया को बढ़ावा मिला है । आज मनोरंजन के क्षेत्र में भी विज्ञान ने कई आश्यचर्यजनक आविष्कार किए हैं औषधि और शल्य-चिकित्सा के क्षेत्र में भी तेज विकास विज्ञान के कारण हुआ है ।

युद्ध के दौरान पेन्सिलिन और स्ट्रेप्टोमायसिन के आविष्कार से तपेदिक, कैंसर आदि जैसी असाध्य बीमारियों का इलाज संभव हो सका है । आज चिकित्सक हृदय, फेफड़े, यकृत तथा अन्य मानव अंगों के प्रत्यारोपण में समर्थ हैं । ये सब विज्ञान के ही चमत्कार है ।

जीवन के निर्माणकारी क्षेत्रों में विज्ञान का योगदान निर्विवाद रूप से असाधारण है लेकिन दुर्भाग्यवश इसके विध्वंसकारी क्षेत्रों का विस्तार दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है । लंबी दूरी की मारक क्षमता वाले प्रक्षेपास्त्रों, टैंक एवं विमानरोधी मिसाइल, पनडुब्बी, रॉकेट आदि के आविष्कारों के द्वारा मानव ने विनाश के यंत्रों का भंडार कर लिया है ।

इनके अतिरिक्त परमाणु बम, जिसने जापान के सुन्दर और विकसित शहरों हिरोशिमा एवं नागासाकी को पूर्णत: ध्वस्त कर दिया था । आज तो हाइड्रोजन बम का आविष्कार भी हो गया है, जिसकी शक्ति परमाणु बम से हजार गुना अधिक है । आज हम कोबाल्ट और नाइट्रोजन बमों के निर्माण के बारे में सुन रहे हैं, जिनकी ध्वंसकारी क्षमता हाइड्रोजन बमों से कही अधिक है ।

दूसरी ओर अंधविश्वास से तात्पर्य विवेकहीन और असंगत भावनाओं से है । लोग अपनी असफलताओं का जिम्मा अंधविश्वासों को सौंप देते हैं । उदाहरण के लिए एक व्यक्ति महत्वपूर्ण कार्य से बाहर जा रहा हो और उसका रास्ता काली बिल्ली काट लेती है । यदि वह उस कार्य में असफल हो जाए तो वह इसका जिम्मा उस काली बिल्ली पर डाल देगा ।

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अंधविश्वास अंधे विश्वासों पर आधारित होते हैं, जिनका कोई ठोस आधार नहीं होता है । अज्ञान के अंधकार में इनका जन्म होता है । इनका संबंध सनकी व्यक्तियों की सनक से होता है । इन सनकों, अंधविश्वासों का जन्म किस प्रकार होता है? अज्ञानता, अशिक्षा और वैज्ञानिक ज्ञान की कमी पर भी अंधविश्वास की भावनाओं का जन्म होता है और वे फलती-फूलती है । यूरोप, अफ्रीका, भारत, चीन और अन्य कई देशों में अंधविश्वास का रोग फैला हुआ है ।

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यूरोप और अमेरिका ने तो इन अंधविश्वासों से कुछ हद तक मुक्ति पा ली है, लेकिन एशिया, अफ्रीका आदि अंधविश्वासों से बुरी तरह से जकड़े हुए हैं । कुछ अंधविश्वास तो हास्यास्पद हैं । यदि अंधविश्वासी व्यक्ति सुबह-सुबह धोबी या धोबी के गधे को देख लेता है तो वह सोचता है कि उसका पूरा दिन हँसी-खुशी से बीतेगा ।

दूसरी ओर यात्रा के लिए निकलते समय विधवा या काने व्यक्ति को देखना अशुभ माना जाता है । नई ब्याहता स्त्री का दिखना अच्छे भाग्य का सूचक है । घर की चार दीवारी पर उल्लू बैठा हुआ दिखना विनाश और दुर्भाग्य का सूचक है । यदि कुत्ते के रोने की आवाज सुनाई देती है, तो इसका अर्थ है कि मुहल्ले में कोई मरने वाला है ।

भारत के अशिक्षित लोगों में अंधविश्वास की जड़ें गहरी पैठी हुई है । इन लोगों के मन से अंधविश्वास की जड़ें उखाड़ फेंकना एक कठिन कार्य है । विज्ञान और उसकी प्रणालियों का अध्ययन अंधविश्वासों के विरुद्ध संग्राम में उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं । विज्ञान का अध्ययन करने वाला व्यक्ति अविवेकपूर्ण बातों पर विश्वास नही करेगा ।

बिल्ली द्वारा रास्ता काटने, कुत्ते के रोने, उल्लू के बैठने के अंधविश्वासों को तार्किक बल पर असत्य करार कर देगा । शिक्षा और वैज्ञानिक ज्ञान का प्रसार अंधविश्वासों को तार्किक बल पर असत्य करार कर देगा । शिक्षा और वैज्ञानिक ज्ञान का प्रसार अंधविश्वासों से छुटकारा दिलाने का सशक्त माध्यम है ।

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