बस स्टॉप का दृश्य पर निबन्ध | Essay on At the Bus Stand in Hindi!

बस स्टॉप पर घटित होने वाली घटनाओं, बस के इन्तजार में खड़े विभिन्न व्यक्तियों के हाव-हावों, प्रतिक्रियाओं का हम शायद ही कभी अवलोकन करते हों ।

हमारा ध्यान केवल आने वाली बस और अपने गंतव्य की ओर ही लगा रहता है, हमारे चारों ओर क्या घट रहा है, इस तरफ हम कभी ध्यान नहीं देते हैं । यदि बस में भीड़ होने के कारण चढ़ नहीं पाते तो हम अपने भाग्य को कोसते हैं और भुनभुनाते हुए समय व्यतीत कर देते है ।

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बस छूटने की स्थिति में, हमें अपने इर्द-गिर्द के वातावरण पर अवश्य दृष्टि डालनी चाहिए । भीख की आशा में भिखारी का फैला हाथ, नवदम्पत्ति की खुसर-पुसर, अपनी पोशाक को ठीक करता क्लर्क, अपने पुत्र के साथ अस्पताल जाती वृद्धा, क्रिकेट कमेन्टरी सुनता क्रिकेट प्रेमी अथवा मौसम पर चर्चा करते दो अजनबी – ऐसी ही घटनाएँ देखने को मिलती हैं ।

लेकिन हममें से कितने लोग बस-स्टॉप के इन दृश्यों का आनंद उठाते हैं । सभी पीछे से आ रही बस और उसमें चढ़ने के साहस को एकत्र करने में ही समय बिता देते हैं । बस-स्टॉप पर बस के इन्तजार में समय को व्यर्थ करने की बजाय हम मानव स्वभाव का विश्लेषण कर सकते हैं ।

बस-स्टॉप पर विभिन्न समुदायों के लोग एकत्रित होते हैं, उनकी अपनी-अपनी समस्याएँ और स्वभावगत विशिष्टताएँ होती हैं । बस के आने पर सभी नैतिकता के गुणों को भूल कर वृद्धों को पीछे धकेल कर बस में चढ़ने के लिए संघर्ष करते हैं, यदि उनका भाग्य बलवान होगा, तो वे बस में चढ़ने में सफल हो जाएंगें ।

किसी का पैर पिचक जाता है और किसी के कपड़े फट जाते हैं, किसी का सामान छूट जाता है । इस संघर्ष के दौरान गालियों की बौछारें तो आम बात है । बस में चढ़ते समय या स्टॉप पर छेड़छाड़ की घटनाएं भी काफी होती रहती हैं । कईएाई किसी लड़की को परेशान कर रहा है, दूसरों को इससे कोई मतलब नहीं होता है ।

बस के चल पड़ने पर बचे हुए यात्री अपने भाग्य को कोसते, बसों की कमी के लिए सरकार पर दोषारोपण करते हैं । भीड़ पुन: इकट्ठी हो जाती है और पुन: वही दृश्य नजर आता है । प्रत्येक शहर के प्रत्येक बस स्टॉप पर ऐसी ही घटनाएं घटित होती हैं ।

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