कैसे करें कैरियर का चुनाव पर निबंध | How to Choose a Career!

प्रत्येक माता-पिता की यही इच्छा होती है कि उनके बच्चे जीवन में अच्छे कार्य करें और जल्दी ही अपनी आजीविका कमाने के काबिल हो जायें । परन्तु इस शुभ लक्ष्य को प्राप्त करने के मार्ग में कई बाधायें उत्पन्न होती हैं । बच्चा जबसे स्कूल जाने लगता है उसके ऊपर काम का बोझ आ जाता है ।

हाई स्कूल में उसे अपने लिए कैरियर का अन्तिम चुनाव करना होता है । परन्तु इतनी कड़ी मेहनत के बावजूद छात्र-छात्रायें अपने कैरियर की दिशा चुनने में असमर्थ रहते हैं । परिणामस्वरूप, वे गलत कैरियर का चयन कर बैठते हैं । बाद में वे पछताते हैं क्योंकि चयनित कैरियर में उनका मन नहीं रम पाता ।

यह समस्या भारत ही नहीं बल्कि विश्व के बहुत सारे देशों में व्याप्त है । हम जानते हैं कि एक अच्छा कैरियर एक व्यक्ति, परिवार, समाज और देश के भविष्य का प्रतिबिम्ब है । यदि व्यक्ति का कैरियर ठीक होगा और ठीक दिशा की ओर अग्रसर होगा, तभी वह अपने लिए धनोपार्जन कर सकेगा । फिर वह अपने परिवार का भी खर्च वहन कर पायेगा । यदि वह व्यवसायिक तौर पर प्रशिक्षित (Professional) है तभी वह समाज का उद्धार कर पाएगा ।

और समाज की उन्नति ही देश की आर्थिक और सामाजिक उन्नति का आधार है । अत: एक देश की उन्नति इस बात पर सीधे तौर पर निर्भर करती है कि उसके नागरिक किन कार्यों में लिप्त हैं और उन कार्यकलापों में उनकी उत्पादकता (Productivity) किस प्रकार व गुणवता की है ।

हम व्यक्तिगत तौर पर चर्चा कर के राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचेंगे । प्रत्येक बालक या बालिका को अपने कैरियर का चुनाव करने की पूरी स्वतन्त्रता है । परन्तु मानसिक परिपक्वता का अभाव होने के कारण उसे अध्यापकों, माता-पिता और गुरुजनों का सहारा लेना पड़ता है । आजकल तो कैरियर काउंसलिंग कार्यालय भी बड़े शहरों में खुल गए हैं । इनमें कार्यरत परामर्शदाता (Consultants) बच्चों व उनके अभिभावकों को यह बताते हैं कि बच्चे आगे चल कर क्या कर सकते हैं ।

सत्य तो यह है कि कैरियर का सही चुनाव तो बच्चे को ही करना होता है; आखिरकार, यह उसके जीवन का प्रश्न है । उसको चाहिए कि वह माता पिता, गुरा या परामर्शदाता को यह बता दे कि उसे क्या करना अच्छा लगता है कुछ छात्र गणित में होशियार होते है । उनको कला व संस्कृति (Fine Arts and Culture) से सम्बद्ध विषय पढ़ाना मूर्खता होगी । इसी प्रकार, कुछ बच्चे विज्ञान के नाम से ही डरते हैं ।

इन बच्चों को कला की विधायें भा सकती हैं । यदि ऐसा है तो इनको विज्ञान के विषय पढाना भैंस के आगे बीन बजाने के समान है और यदि कोई ऐसा बच्चा विज्ञान का स्नातक बन भी गया तो हो सकता है कि वह विज्ञान की दुनिया में नुकसान अधिक करे और लाभ कम दे । आम तौर पर यह देखा गया है कि जो छात्र गणित के मेधावी होते हैं, वे अन्य विषयों जैसे कि अंग्रेजी, हिन्दी इत्यादि मे ज्यादा कुशलतापूर्वक कार्य नहीं कर पाते ।

इसी प्रकार डॉक्टरी की पढ़ाई पढ़ने के लिए भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान की जानकारी होना अति आवश्यक है । ऐसा इसलिए है क्योंकि यह तीनों विषय इस कैरियर के आधार स्तम्भ हैं । अब मान लीजिए कि एक बच्चे की जीव विज्ञान में बड़ी रुचि है और वह डॉक्टर बनना चाहता है ।

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परन्तु यदि वह रसायन विज्ञान व भौतिकी विज्ञान में कमजोर है तो वह डॉक्टर नहीं बन पाएगा । हां, यह हो सकता है कि वह जीव विज्ञान में एम॰एस॰सी॰ कर ले । परन्तु उसके लिए बी॰एस॰सी॰ करना आवश्यक है और उसमें रसायन विज्ञान, भौतिकी और जीव विज्ञान निहित हैं । अत: छात्र को अब यह सोचना होगा कि वह विज्ञान के विषयों के साथ इंसाफ कर पाएगा अथवा नहीं । यह निर्णय उसे सोच समझ कर करना है ।

स्नातक स्तर पर भी कैरियर का चुनाव करना इतना आसान नहीं है । बहुत से छात्र स्नातक शिक्षा के बाद स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त करते हैं । उनमें से कुछ तो विदेश भी जाते हैं । इसका अर्थ यह हुआ कि स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त करना आवश्यक हो चुका है । परन्तु उन्हीं छात्रों को ऐसी पढ़ाई करनी चाहिए जो उद्योगों व सरकारी विभागों में कार्य करने के इच्छुक हों ।

यदि छात्र पी॰एच॰डी॰ करते हैं तो वे शैक्षणिक कार्यों के लिए उपयुक्त हो जाते हैं । परन्तु इस अवस्था में वे उद्योगों में नौकरियां प्राप्त नहीं कर पाते । हमने जानकारी प्राप्त की है और पता चला है कि कुछ पी॰एच॰डी॰ प्राप्त व्यक्ति उद्योगों और व्यवसायिक संस्थानों के द्वारा भी नियुक्त किए गए हैं । परन्तु ऐसे लोगों की संख्या कम ही है । सरकारी नौकरी अर्थात् अध्यापन कार्य प्राप्त करने हेतु यू॰जी॰सी॰ की नेट / सेट (UGC NET/SET) परीक्षा में बैठना अनिवार्य हो गया है ।

इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के पश्चात छात्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों या सरकार द्वारा चलाए जा रहे विश्वविद्यालयों में लैक्चरर के पद के लिए आवेदन पत्र भेज सकते हैं । इस परीक्षा को पास करने के बाद वे आगे भी पढ़ सकते हैं । शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों के लिए अनेक संभावनायें हैं । परन्तु छात्रों में शिक्षण के लिए अभिरुचि होनी चाहिए ।

निजी क्षेत्र में कार्यरत कम्पनियां अपनी मर्जी से लोगों को अपने यहां नियुक्त करती हैं । अत: छात्रों को चाहिए कि वे अपनै लिए ऐसी कम्पनियों का चुनावसोच समझकर करें । उन्हें नौकरी के लिए आवेदन पद के कार्यभार के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के बाद ही देना चाहिए । निजी क्षेत्र में नौकरी स्थायी नहीं होती परन्तु पैसे अच्छे मिल जाते हैं ।

कई लोग अच्छी तनख्वाह को प्राप्त करने के लिए नौकरियां बदलते रहते हैं । इसको तकनीकी भाषा में Job Hopping कहा जाता है । यह प्रवृत्ति अच्छी नहीं है । इसका कारण यह है कि व्यक्ति किसी एक जगह पर टिक नहीं पाने के कारण असंतुलित हो जाता है । उसका कैरियर इस असंतुलन के कारण किसी भी दिशा में आगे बढ़ नहीं पाता । हमारे विचार में कैरियर के पहले के चार या पाँच वर्षों में नौकरी नहीं बदलनी चाहिए । इस अन्तराल के पश्चात् व्यक्ति अपनी नौकरी दो या तीन वर्षों के बाद बदल सकता है ।

कैरियर के निर्माण व उसकी उन्नति के लिए प्रशिक्षण लेना आवश्यक है । परन्तु त्रासदी यह है कि उचित कम्पनी में उचित व्यक्तियों के द्वारा प्रशिक्षण किसी किसी को ही मिल पाता । बाकी लोग तो गिरते पड़ते और काफी यातनायें सह कर ही सीखते हैं । प्रशिक्षण उद्योगों में मिलता है, कॉलेजों या विश्वविद्यालयों में नहीं । उद्योग और व्यवसाय किताबी ज्ञान के सहारे नहीं चलते ।

छात्रों को यह बात आत्मसात् कर लेनी चाहिए कि नौकरी में रखे जाने के बाद बॉस की आज्ञा मानना और सब कुछ सीखने को तत्पर रहना ही सफलता के प्रमुख गुणसूत्र हैं । प्रशिक्षण में 2 साल तक का समय लग सकता है । इस दौरान नौकरी नहीं छोड़नी चाहिए । प्रशिक्षण देने के बाद व्यक्ति को कार्य दिया जाता है और वही उसकी भीषण परीक्षा (acid test) भी होती है । शुरू के कुछ साल समस्यापूर्ण हो सकते हैं परन्तु बाद में सब ठीक हो जाता है ।

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कई छात्र छात्रायें पढ़ाई पूरी होने के बाद अपने-अपने व्यवसाय चलाने की बात सोचते हैं । यह ख्याल भी बुरा नहीं है । परन्तु इसके लिए काफी धन, बुद्धिमता और कठोर परिश्रम की आवश्यकता है । फिर भी हम यही कहेंगे कि छात्र-छात्राओं को अपने-अपने कारोबार खोलने चाहिए, इससे देश का भी आर्थिक विकास होता है और बेरोजगारों को भी रोजगार मिलता है ।

हमारे पाठक अपने नजदीकी बैंकों से ऋण प्राप्त कर सकते हैं इंजीनियर आसानी से ऋण और तकनीकी ज्ञान प्राप्त कर सकते हें । एक सरकारी संस्था, एन॰एस॰आई॰सी॰ (the NSIC) इस विषय में काफी तकनीकी जानकारी देती है । वह विभिन्न उत्पादों और प्रक्रियाओं के बारे में परियोजना रिपोर्ट (Project Reports) भी देती है । कई निजी संस्थान भी ऐसी ही जानकारी उपलब्ध कराते हैं ।

इसके अलावा, सभी राज्य में वित्तीय संस्थायें (सरकारी व गैर सरकारी) कार्यरत हैं । इनसे उद्योग चलाने के लिए ऋण प्राप्त किये जा सकते हैं यदि मानव कठिन परिश्रम करने की ठान ले तो कोई भी मुश्किल उसे विचलित नहीं कर पाएगी । अपने मन का राज होने का मजा ही कुछ और है । और अगर छात्र के माता-पिता या सगे सम्बन्धी पहले से ही किसी (निजी) व्यवसाय में कार्यरत हैं तो छात्र के सफल होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं ।

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अब हम शुरू से वर्णित चक्र को दोहराते हैं- व्यक्ति, परिवार, समाज, देश । देश का भला तभी होगा यदि हमारे युवा ठीक प्रकार के कार्यों में अपना तनमन लगा देंगे । देश की उत्पादकता बढ़ेगी और राष्ट्र एक आर्थिक महाशक्ति बन जाएगा । और तो और बेरोजगारी की विकट समस्या का भी निदान हो जाएगा ।

हम यह कामना करते है कि हमारे पाठक अपने इच्छित कार्यकलापों के द्वारा अपने कैरियर में अनछुई ऊँचाइयों तक पहुंचेंगे । इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संघर्ष करना होगा । संघर्ष ही जीवन है और इसका फल अवश्य ही मीठा होगा ।

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