वायु प्रदूषण को कैसे रोकें | Vaayu Pradooshan Ko Kaise Roken! Read this article in Hindi to learn about how to stop air pollution!

वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु दो प्रकार के प्रयत्न आवश्यक हैं, प्रथम- वर्तमान में हो चुके वायु प्रदूषण को समाप्त या नियंत्रित किया जाए जिससे उसका हानिकारक प्रभाव न हो एवं द्वितीय- इस प्रकार के उपाय किये जायें जिससे कि वायु प्रदूषण हो ही नहीं ।

वास्तव में तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति ने वायु प्रदूषण दिया है और इसी से इस समस्या का समाधान भी होगा । इस दिशा में संपूर्ण विश्व में शोध कार्य हो रहा है तथा प्रयत्न भी किये जा रहे हैं । वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु जहाँ एक ओर तकनीकी साधनों की आवश्यकता है (जो सामान्यतया अधिक महंगे होते हैं) तो दूसरी ओर इसे सामान्य जन आंदोलन बनाना आवश्यक है, जिससे विश्व का प्रत्येक व्यक्ति इसका भागीदार बन सके ।

विश्व के विकसित देशों में वायु प्रदूषण अधिक हो रहा है और वे इसके प्रति सचेष्ट भी हो चुके हैं, किंतु विकासशील देशों को यह सोचना चाहिये कि आज यह समस्या उनके यहाँ प्रारंभिक अवस्था में है वह कल गंभीर होकर विनाशक रूप में उभर सकती है ।

वायु प्रदूषण के नियंत्रण के कतिपय उपाय निम्नांकित हैं:

1. वायु प्रदूषण रोकने के लिए वनों का काटना रोकना चाहिये तथा पर्याप्त वृक्षारोपण आवश्यक है । यह एक सामान्य मत है कि यदि एक क्षेत्र का 33% भाग वनों से युक्त है तो वहाँ वायु प्रदूषण से हानि न्यूनतम होगी ।

वनों के माध्यम से पारिस्थितिकी संतुलन बनाया जा सकता है । प्रत्येक नगर एवं ग्राम के चारों ओर ‘हरित पेटी’ का विकास किया जाना आवश्यक है । इसी प्रकार उद्योगों के चारों ओर भी यदि ‘हरित पेटी’ होगी तो उससे प्रदूषण कम होगा ।

2. वाहनों के संबंध में अनेक तथ्यों पर ध्यान देना आवश्यक है ।

जैसे:

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(i) वाहनों का इंजन पुराना न हो,

(ii) वाहनों से उत्पन्न धुएँ पर छलनी तथा पश्च ज्वलक लगाया जाए,

(iii) वाहनों का इंजन भली-भांति ट्‌यून किया होना चाहिये,

(iv) वाहनों में इस प्रकार का सुधार किया जाना चाहिये, कि उनसे निकलने वाला प्रदूषक पदार्थ न हो या न्यूनातिन्यून हो,

(v) डीजल में संयोजी पदार्थ मिलाकर तथा पेट्रोल से लेड और सल्फर को निकाल कर प्रदूषण कम किया जा सकता है ।

3. रेल वाहनों में जहाँ कोयले का अत्यधिक प्रयोग होता है, उनके स्थान पर विद्युत चालित इंजनों का प्रयोग किया जाना चाहिये ।

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4. परंपरागत ईंधन (लकड़ी, कोयला, गोबर) आदि का प्रयोग समाप्त करना आवश्यक है । यदि यह समाप्त न हो तो ‘धूम रहित’ चूल्हे को काम में लेना चाहिये ।

5. अनेक उद्यम जैसे- ईंटों का भट्टा, मिट्टी के बर्तन पकाना आदि को आबादी से दूर स्थापित करना चाहिये ।

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6. वनों में लगने वाली आग तथा अग्नि काण्डों पर तुरंत नियंत्रण की व्यवस्था होना आवश्यक है ।

7. उद्योग भी प्रदूषण का एक प्रमुख कारण हैं, इनके संबंध में कतिपय उपाय करना आवश्यक है ।

जैसे:

(i) उद्योगों की स्थापना घने बसे भागों एवं नगरों से दूर होनी चाहिये,

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(ii) उद्योगों की स्थापना से पूर्व वायु की दिशा पर ध्यान देना चाहिये कि वह नियमित रूप से आबादी की ओर तो नहीं आ रही है,

(iii) उद्योगों के प्रारंभ होने से पूर्व समस्त विधियों की जानकारी कर लेनी चाहिये जिनसे वे प्रदूषण को नियंत्रित करेंगे,

(iv) उद्योगों की चिमनियों की ऊँचाई निर्धारित मानदण्ड के अनुसार होनी चाहिये,

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(v) उद्योगों में कम प्रदूषणकारी प्रौद्योगिकी का प्रयोग होना चाहिये,

(vi) उद्योगों से निकलने वाले हानिकारक पदार्थों का शोधन होना चाहिये जिससे वे प्रदूषक न रहें ।

8. रूपान्तर द्वारा प्रदूषकों का नियंत्रण किया जा सकता है । अनेक रासायनिक क्रियाओं द्वारा हानिकारक रसायनों की प्रकृति को बदला जा सकता है । इस दिशा में पर्याप्त शोध के साथ-साथ सस्ते साधन निकालना आवश्यक है ।

9. वायु प्रदूषण को कतिपय पदार्थों से अलग करके कम किया जा सकता है । जैसे छानकर, निःसादन द्वारा, घोलकर, अधिशोषण द्वारा । इन सभी के लिये कुछ विधियाँ विकसित की जा चुकी हैं किंतु इस दिशा में सस्ती और सरलता से उपलब्ध तकनीक की आवश्यकता है ।

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उपर्युक्त उपायों के अतिरिक्त स्थानीय दृष्टि से उपलब्ध साधनों का प्रयोग आवश्यक है । आज प्रत्येक देश में वायु प्रदूषण के नियंत्रण हेतु नियम एवं कानून हैं । हमारे देश में भी उद्योगों के लिये कठोर नियम हैं कि वे वायु प्रदूषण नियंत्रण रखें । इन सभी नियमों का कठोरता से पालन होना चाहिए, क्योंकि इसके साथ मानव जाति का भविष्य जुड़ा है । यदि हम अपने भविष्य को संजोना चाहते हैं तो हमें वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करना होगा ।

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