Hindi Story on Nothing Can Hide the Truth (With Picture)!

सच्चाई कभी नहीं छुपती |

एक गधा था । वह बहुत चुगलखोर और शरारती था । चुगली करने में उसे बहुत आनंद आता था । वह जंगल के जीवों में झगड़ा कराता रहता था । इसी कारण कोई उससे बात करना पसंद नहीं करता था । वह इस बात को जानता भी था, परंतु उसकी शरारतें वैसे ही चलती रहती थीं ।

एक दिन वह जंगल में घूम रहा था । उसे रास्ते में एक जगह शेर की खाल पड़ी दिखाई दी । वह प्रसन्न हो गया । उसकी समझ में नई शरारत आ गई । उसने शेर की खाल ओढ़ ली । ‘आहा! अब मैं शेर बन गया । अब जंगल के सारे पशु मुझसे भयभीत रहेंगे ।

वे मुझे अपना राजा मानेंगे । मैं दहाड़कर उन्हें डराऊंगा । वे डरकर इधर-उधर भागेंगे । बहुत आनंद आएगा ।’ वह सोचने लगा । यह विचार मन में आते ही वह जंगल में आ गया । एक जगह जंगल के कुछ पशु सभा कर रहे थे । उनमें गीदड़, लोमड़ी, बिल्ली, खरगोश, सियार आदि थे ।

वे सभी शेर के पास जाने का विचार कर रहे थे । वे शेर से गधे की शिकायत करना चाहते थे । तभी शेर की खाल ओढ़े गधा वहां पहुंच गया । उसने वहां ऊधम मचा दिया । टांगें फेंक-फेंककर वह उछलकूद करने लगा । पशु उसे शेर समझकर भागने लगे । थोड़ी ही देर में जंगल में हाहाकार मच गया ।

”आज तो महाराज पर प्रेत का साया पड़ गया है ।” बंदर ने चिंतित होकर कहा । ”ऐसा ही लगता है । वे हमारे राजा हैं । उन्हें हमारी रक्षा करनी चाहिए । वे तो हमारे प्राण लेने पर तुले हैं ।” लोमड़ी बोली ।”इसका कोई उपाय सोचो ।”

”यह किसी भारी विपत्ति का संकेत है ।” इसी तरह की चर्चा सारे जंगल में हो रही थी । उधर गधा इसी प्रकार ऊधम मचाता फिर रहा था । अचानक उसे एक गीदड़ नजर आया । गीदड़ ने भी उसे देख लिया । गधा उसके पीछे भागा । गीदड़ भी जान बचाकर भागा ।

गधा काफी दूर तक उसके पीछे दौड़ा । वह बड़ा खुश था । अपनी खुशी वह संभाल नहीं सका । खुशी व्यक्त करने के लिए वह जोर से रेंकने लगा उसकी आवाज सुनते ही गीदड़ रुक गया । वह सारी बात समझ गया । वह निर्भय होकर गधे के पास आया ।

”अच्छा! तो यह तुम हो गधे राम!” गीदड़ खिलखिलाकर हंसा- ”तुमने ही शेर की खाल ओढ़कर यह ऊधम मचाया है । सारे जंगल में हाहाकार मचा दिया है । धर्म तो तुमने खूब बदला, परंतु कर्म नहीं बदल सके । तुम्हारी ढेंचू, ढेंचू ने तुम्हारा भंडा फोड़ दिया । ठहरो । मैं अभी खोलता हूं तुम्हारी पोल ।”

गीदड़ ने शोर मचा दिया । अपनी पोल खुलने के भय से गधा भाग खड़ा हुआ । उसका भेद खुल चुका था । अब उस पर जंगल के पशुओं का गुस्सा उतरने वाला था । बहुत भागने पर भी वह बच न सका । वह चारों तरफ से घिर गया । फिर उस पर ऐसी मार पड़ी कि उसका अंग-अंग दर्द करने लगा ।

सीख:

यह कहानी हमें बताती है कि सच्चाई कभी नहीं छुपती । सच्चाई तो सूरज की भांति है । जिस प्रकार सूरज अंधेरे को चीरकर चमकता है, उसी प्रकार सच्चाई झूठ का सीना चीरकर निकलती है।

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