मैं वृद्धावस्था में क्या करना पसंद करूँगा पर निबन्ध |Essay on What I Would Like to do in My Old Age in Hindi!

वृद्धावस्था जीवन का अंत नहीं । इस अवस्था में भी हम सक्रिय और कर्मशील जीवन जी सकते हैं । साधारण मनुष्य वृद्धावस्था से घबराते हैं, क्योकि वे सोचते हैं कि वृद्धावस्था में वे शारीरिक रूप से अक्षम हो जाएंगे और दूसरों की दया पर जीवित रहेंगे । 

जीवन में व्यक्ति सब कुछ सहन कर सकता है, लेकिन उपेक्षा या महत्त्वहीनता नहीं । इन्हीं विचारों के कारण लोग वृद्धावस्था से डरते हैं । एक भरपूर जीवन जीने के बाद मैं बड़े सहज रूप से वृद्धावस्था का स्वागत करूँगा । जीवन की इस सांध्यबेला में अनुभव मेरे मार्गदर्शन का कार्य करेंगे ।

जीवन की व्यस्तताओं के कारण मुझे जिन कार्यो को करने का अवसर नहीं मिला, मैं अपने उन कार्यो और रूचियों का आस्वादन करूँगा । उदाहरण के लिए मुझे कभी प्रात:कालीन सैर का समय नही मिला । सुबह के सुखद पलों का रसास्वादन मैंने नही किया, कार्यालय की भाग-दौड़ या रात को देर से सोने के कारण सुबह नींद ही नहीं खुलती ।

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मुझे अपने बागवानी के शौक को पूरा करने का समय नहीं मिलता है । वृद्धावस्था में सुबह बागवानी करने, पौधों की रोपाई, सिंचाई करने में व्यतीत करूँगा । यदि हो सका तो, मैं अपने घर के पीछे की जमीन में सब्जियाँ उगाऊँगा ।

नाश्ता करने के बाद में आराम से बैठकर समाचारपत्र पढ़ूँगा और विभिन्न घटनाओं, सामग्रियों का विश्लेषण करूँगा । मैं दोपहर के भोजन के समय पारिवारिक समस्याओं पर विचार करूँगा । भोजन के बाद में थोड़ा विश्राम करुँगा । अपने विद्यालयी तथा कार्यालयी जीवन के दौरान मुझे कभी भी दोपहर में सोने का समय नही मिला । वृद्धावस्था में मैं इसका आनंद जरूर लूँगा ।

मैं शाम का समय अध्ययन करते हुए बिताना पसंद करूँगा । पुस्तक प्रेमी होने के कारण मैं अपना समय पुस्तकालय में बिताऊँगा । मैंने कई पुस्तकें खरीदी हैं, लेकिन उनको पढ़ने का समय मेरे पास नही है । वृद्धावस्था के दौरान मेरे पास पर्याप्त खाली समय होगा । मैं इन पुस्तकों का अध्ययन कर अपने विचारों को उन्नत करुँगा ।

मैं स्वभाव से मिलनसार हूँ । सप्ताह में एक दिन मैं अपने मित्रों, रिश्तेदारों को अपने घर आमंत्रित करुँगा या उनके घर जाऊँगा । वृद्धावस्था या दुर्बलता का बहाना बनाकर मैं अपने सामाजिक संबंधों का त्याग नही करुँगा । मैं अपने बुढ़ापे में निष्किय जीवन नहीं बिताऊँगा ।

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मेरी एक सक्रिय फलदायक जीवन जीने की आकांक्षा है । मैं उदासीन, मृत्यु की चाह करते हुए बूढ़े व्यक्ति की तरह जीवन बिताना नहीं चाहता हूँ । मैं जीवनानुभवों से जनित बुद्धि का उपयोग करते हुए कर्मशील जीवन व्यतीत करूँगा । वृद्धावस्था मेरे जीवन का स्वर्णिम युग होगा ।

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