अपने सहपाठियों की सबसे अच्छे ढंग से मैं कैसे सहायता कर सकता हूं पर अनुच्छेद | Paragraph on Best Way in Which I can Help My Fellow Students in Hindi

प्रस्तावना:

विभिन्न लोगों को अलग-अलग प्रकार की सहायता की आवश्यकता होती है । कुछ लोगों को भोजन और वसो की आवश्यकता होती है । बहुत-से अन्य लोग रोजगार पाने में मदद चाहते हैं ।

विद्यार्थियों की अनेक प्रकार की मदद आवश्यक होती है । सहायता करने का अच्छा तरीका स्वयं उनका काम कर देना या उनकी आवश्यकता पूरी कर देना नहीं है । हमें चाहिए कि हम जरूरतमन्द लोगों को ऐसे साधन उपलब्ध करा दें अथवा वह मार्ग सुझा दें कि वे स्वयं अपनी आवश्यकता पूरी कर सकें । विद्यार्थियों के मामले में तो यह बात एकदम सटीक बैठती है ।

विद्यार्थियों के वर्ग:

अपने सहपाठियों को मैं तीन वर्गों में बांट सकता हू । एक वर्ग में वे विद्यार्थियों आते हैं जो बड़े निर्धन हे और जिनके पास पूरी किताबें तक नहीं होती । दूसरा वर्ग उन विद्यार्थियों का है, जो मध्यम श्रेणी के परिवारो से आते हैं । तीसरी वर्ग ऐसे धनी विद्यार्थियों का है जिनके मां-बाप के पास धन-दौलत की प्रचुरता है । तीनों वर्गों के विद्यार्थियों की जरूरतें अलग-अलग होती हैं । अत: उनकी सहासना भी अलग-अलग ढंग से की जा सकती है ।

निर्धन सहपाठियों की सहायता:

मेरे सहपाठियों में 5-6 लड़के बड़े निर्धन है । वे बड़ी मेहनत से पढ़ाई करते हैं, लेकिन निर्धनता उनका मार्ग अवरुद्ध करती है । उनके पास आवश्यक पुस्तकें खरीदने लायक धन भी नहीं जुटता । वे सभी प्रकार की किफायत करते हैं । न उनके पास ढंग के कपड़े होते हैं, और न वे खाने के लिए पौष्टिक भोजन ।

बड़ी कठिनाई से वे एकाध पुस्तकें खरीद पाते है । वे अन्य विद्यार्थियों से पुस्तकें मांगकर काम चलाते हैं । ऐसे निर्धन विद्यार्थियों को मैं पैरना या किताबें देकर उनके स्वाभिमान को धक्का नहीं पहुंचाना चाहता । मैं उनके लिए कुछ ऐसे पार्ट टाइम काम की व्यवस्था करने का प्रयास करता हूँ जिससे वे अपने खाली समय में काम करके कुछ धन कमा सके ।

उदाहरण के लिए, मेरे पिताजी को अपने पत्र-व्यवहार की देखभाल के लिए एक व्यक्ति की जरूरत थी । उनके पास इतना काम नहीं था कि वे पूरे दिन के लिए किसी को नौकर रख लेते । मैंने अपने एक निर्धन सहपाठी से शाम को एक घंटा यह कोंमें करने का प्रस्ताव किया । जब वह तैयार हो गया, तो मैं उसे अपने पिताजी के पास ले गया । उन्होंने उसे काम समझा दिया । प्रारंभ में तो कुछ दिक्कत आई, लेकिन जल्दी ही उसने काम सीख लिया ।

मेरे पिताजी उसके काम से संतुष्ट हो गए । अब वह एक घंटा शाम को काम करके महीने में दो सौ रुपये कमा लेता है, जिससे उसने किताबें ही नहीं खरीद लीं, बल्कि अपना रहन-सहन भी ठीक कर लिया है । कई अन्य निर्धन सहपाठियों को मैने अपने नाते-रिश्तेदारों के यही छोटे बच्चों की ट्‌यूशन का काम दिलवा दिया है । अन्य एक-दो को मैं कुँछ-न-कुछ काम दिलाने का प्रयास कर रहा हूँ । समय-समय पुस्तकें देकर भी मैं उनकी सहर्ष सहायता करता हूँ ।

मध्यम वर्ग के सहपाठियों की सहायता:

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मेरे सहपाठियों में मध्यम वर्ग के लोगों की संख्या सबसे अधिक है । इनमें कुछ सहपाठी बड़े कुशाग्र बुद्धि के है तथा कुछ अन्य साधारण बुद्धि के । कुछ सहपाठी अच्छे खाते-पीते परिवारों के हैं, जबकि कुछ अन्य निम्न मध्यम वर्ग के ।

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ये सभी पढ़ाई के प्रति निष्ठावान हैं । इन सभी के पास अपनी पाठ्‌य-पुरराके तो होती हैं, लेकिन अन्य सहायक पुस्तकों आदि की कमी होती है । मेरे पास बहुत-सती सहायक पुस्तके हैं । मैं इन विद्यार्थियों को विभिन्न लेखकों की सहायता पुस्तकें देकर इनका ज्ञान बढ़ाने की चेष्टा करता हूँ । मैं पढाई में तेज हूँ ।

अत: जब किसी सहपाठी को कक्षा में कोई बात ठीक से समझ में नहीं आती तो मैं उन्हें बाद में समझा देता हूँ । यदि मैं उनकी किसी कठिनाई को तत्काल दूर नहीं कर पाता, तो शाम को अपने ट्‌यूटर से पूंछ कर अगले दिन समझा देता हूँ । गणित के प्रश्न हल करने में मैं उनकी विशेष मदद करता हूं ।

धनी सहपाठियों की सहायता:

मेरे दो-तीन सहपाठी बड़े धनी परिवार के हैं । वे स्कूल में अपनी शानो-शौकत का प्रदर्शन करने और मनोरंजन के लिए आते हैं । पढ़ाई में उनकी कोई विशेष रुचि नहीं होती । वे अपना समय नष्ट करते हैं । कुछ उच्च मध्यम क्य के सहपाठी उनकी तड़क-भड़क और खर्चीले स्वभाव से उनकी ओर आकर्षित होकर अपना समय भी बरबाद करते हैं । मैं अन्य सहपाठियों को ऐसे लोगों से बचने की सलाह देता हूँ, पर वे मेरी बात नहीं सुनते । जो स्वयं कुछ न करना चाहें उनकी सहायता कैसे की जा सस्ती है ? ईश्वर ही उन्हें सद्‌बुद्धि दे सकता है ।

उपसंहार:

मेरा विश्वास है कि यही सबसे अच्छा ढंग है जिससे अपने सहपाठियों की सहायता की जा सकती है । जब तक मुझे इससे अच्छे ढंग का ज्ञान नहीं होता, मैं इसी ढंग से सहायता करता रहूंगा ।

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