एक नौका दुर्घटना पर अनुच्छेद | Paragraph on A Boat Disaster in Hindi

प्रस्तावना:

पिछले वर्ष 26 जनवरी को गंगा नदी में एक नौका उलट जाने के फलस्वरूप पन्द्रह व्यक्ति डूब कर मर गए । उस दिन प्रातःकाल तीर्थयात्रियों का एक दल नाव में सवार होकर राजघाट की ओर चल पड़ा ।

यह दिन राजघाट के निकट कलकट्‌टी पर प्रसिद्ध गंगा नहर देखने जा रहा था । नौका के सभी यात्री बुलन्दशहर से आए थे । वे पवित्र गंगा में स्नान करने के लिए कर्णवास घाट आए थे और नहा-धोकर नाव में नहर देखने निकल पड़े थे ।

नाव की क्षमता बीस व्यक्तियों की थी और उतने ही व्यक्ति उसमे सवार थे । लेकिन उस दल के सभी लोग मोटे लाला तथा उनकी धुल-धुल पत्नियाँ और गोल-मटोल बच्चे थे । इसलिए सवारियों की सख्या ठीक होने के बावजूद भी भार अधिक था ।

दुर्घटना कैसे हुई:

नाव गगा की धारा की दिशा मे चल रही थी । नदी का बहाव बड़ा तेज था । नाव जैसे ही राजघाट पुल के निकट पहुँची, एक भवर की तेज धार ने नाव को एकदम उछाल दिया । मल्लाहों ने नियंत्रण खो दिया । उछाल से नाव में सवार स्त्रियां और बच्चे चीख पड़े और एक ओर हो गए । नाव का संतुलन बिगड़ गया और नदी के दाहिने किनारे के पुल के एक पुश्ते से टकरा कर नाव उलट गई ।

दुर्घटना का वर्णन:

नाव उलटते ही उसमे बैठे सभी सवार मल्लाह समेत गगा की तेज धार में जा गिरे । वे चीखते-चिल्लाते तेजी से बहने लगे । मल्लाहों ने भी सहायता की पुकार मचाई । मल्लाह तथा पुल रने कुछ व्यक्ति लोगो को बचाने के लिए नदी में कूद पडे ।

केवल एक व्यक्ति ही जीवित बचाया जा सका । चार औरतें दो खम्भों के बीच फस गई थी । उनकी चीख सुनकर लोगो ने बड़ी मुश्किल से खींचकर उन्हें भी जीवित बचा लिया । वे किनारे आते-आते बेहोश की गई । वे इतनी मोटी थी कि चार-चार तैराक बडी मुश्किल से उन्हें किनारे तक ला पाये ।

डूबे हुए लोगों की तलाश:

यह बड़ा ही दर्दनाक दृश्य था । लोग दम साधे इस भयावह दृश्य को देख रहे थे । उसी समय पुल के अधिकारियो ने टेलीफोन करके गोताखोरों को बुला लिया । कुशल तैराकों और गोताखोरों ने तीन खोजी दल बनाकर लोगों की तलाश शुरू कर दी ।

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थोड़ी देर में भली-यगॅति सुसज्जित सैनिक नौकाये और कुशल गोताखोर भी आ गए । तेज धार में बहते लोगों की खोज होने लगी । शाम तक खोज का काम बड़ी तेजी से होता रहा, लेकिन वे लोग केवल चार मृत शरीरों की तलाश ही कर पाये, जिनमें तीन पुरुष और एक महिला थी । डूबी हुई नौका दुर्घटना स्थल से लगभग आधे किलोमीटर दूर बालू में धंसी पाई गई । अब तक रात हो गई थी । अभी तक ग्यारह शव नहीं खोजे जा सके थे ।

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अब सर्च लाइटों का प्रबन्ध करके जाल डालकर रद्दोज का काम फिर प्रारभ हुआ । रातभर कार्य जारी रहा । बड़ी मुश्किल से छ: अन्य शव मिले । उनमें से तीन शव क्षत-विक्षत अवरथा में पानी से फूले हुए थे । वे बड़े डरावने लग रहै थे । लाख कोशिशो के बाद भी पाँच शवों का कोई पता नहीं लग सका ।

बचाये हुए लोगों की स्थिति:

मल्लाहों के अलावा इस भीषण दुर्घटना में केवल पाँच लोगों को जीवित बचाया जा सका । चारों महिलाओं के पेट मे पानी भर गया था और वे बेहोश थीं । पुरुष को तो थोडी देर में ही होश आ गया, पर महिलाओं के पेट से पानी निकालने में बड़ी कठिनाई हुई क्योंकि, वे बहुत मोटी थी ।

उन्हें कृत्रिम श्वाँस भी देना पड़ा । डॉक्टर ने आकर उनका उपाय किया, तब काफी देर बाद उन्हें होश आया । उन चारो महिलाओं का पूरा परिवार बच गया । वह अकेला ही नाव में यात्रा कर रहा था । उसका परिवार घाट पर ही रह गया था । उसने ईश्वर को लाख-लाख धन्यवाद दिया ।

उपसंहार:

बुलन्दशहर के जिलाधीश और पुलिस अध्यक्ष शाम को घटना-स्थल पर आये और उन्होंने शवो की खोज के काम का संचालन किया । उन्हीं खे प्रयत्न से सर्चलाइट तथा जालों का प्रबन्ध हुआ । उन्होंने दुर्घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया और मृत व्यक्तियों के रिश्तेदारों के प्रति गहरी संवेदना प्रदर्शित की ।

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