किसी बारात का वर्णन पर अनुच्छेद | Paragraph on Description of a Marriage Party in Hindi

प्रस्तावना:

भारत में बड़े सज-धज और शान से बाराते निकलती दिखाई देती हैं । भारत के निर्धन लोगों के नीरस जीवन में ये बड़ी खुशी के अवसर होते हैं ।

हिन्दुओं में विवाह एक पवित्र बधन और धार्मिक कृत्य माना जाता है । यहा पश्चिम की तरह विवाह कोई करार या कानूनी बन्धन नहीं होता । हिन्दुओं का विश्वास है कि मृत्यु के बाद जब तक उन्हें अपने पुत्र का पिण्डदान नही मिलता, तब तक उनकी मुक्ति नहीं होती ।

बारात का स्थान और समय:

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पिछले वर्ष गर्मियों की छुट्टियां में मुझे एक विवाह में जाने का अवसर मिला । मुझे एक मित्र ने अपने बड़े भाई की शादी में शामिल होने का निमन्त्रण दिया था । शादी जून के पहले सप्ताह में थी । मेरा मित्र मोदीनगर के निकट निवा गाँव में रहता है ।

मैं बारात के चलने से एक दिन पहले ही उसके गाव पहुंच गया । अगले दिन दोपहर में बैलगाडियों में सवार होकर सभी बाराती रेलवे रटेशन पहुंचे । बारात में छोट-बड़े मिलाकर एक सौ से भी अधिक व्यक्ति थे । ट्रेन के आते ही बाराती जहा जगह मिली, वहीं ट्रेन में सवार हो गए ।

वर तथा निकट सम्बन्धी प्रथम श्रेणी में बैठे । हम कुछ मित्रों ने पहले से ही अलग डिब्बे में बैठने का फैसला कर लिया था ताकि हम रास्ते में बडों से अलग रहकर आजादी से हंसी-मजाक कर सके । हम सबके ट्रेन में सवार हो जाने के बाद गाड़ी खतौली की ओर रवाना हो गई ।

यात्रा का वर्णन:

ट्रेन के अलग डिब्बे में बैठे हम सब मित्रों ने खूब आनन्द उठाया । हर स्टेशन पर हम प्लेटफार्म पर उतर कर कुछ-न-कुछ खाने के लिए खरीद लेते और डिबे में लाकर खाते । कुछ देर हमने ताश खेले ।

शाम को चार बजे हमारी गाड़ी खतौली पहुच गई ।

सभी लोग यहा उतर पड़े । कन्या पक्ष के लोगों ने स्टेशन पर ही हमारा स्वागत किया । टेशन पर हम लोगों ने सभी बारातियों को इकट्‌ठा करके इनकी गिनती की तथा रिक्शाओं और तांगो मे बैठकर एक धर्मशाला पहुचे, जहा बारात के ठहरने का बडा सुन्दर इन्तजाम था ।

बारात का उठना:

धर्मशाला में नहा-धो कर हम लोग तैयार हुये । हमें वहां नाश्ता कराया गया । ठीक सात बजे बारात उठाई गई । हम सब सुन्दर कपडों में बारात में चल पडे । बारात के साथ कई हंडे वाले थे । सबसे आगे दो बड़ी-बड़ी बैन्ड पार्टिया थीं । दूल्हा एक सुसज्जित घोड़ी पर बैठा हुआ था । घोड़ी के नजदीक एक सुनहरा छत्र लिए आदमी चल रहा था और उसके पीछे बाराती थे ।

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हम सब हंसते-गाते, उछलते-कूदते और नाचते हुए चल रहे थे । खतौली के सभी मुख्य मार्गों से बारात गुजरी । रास्ते में कई स्थानों पर रुकते हुए हम लोग लडकी वाले के घर पहुंचे । रास्ते में अनेक लोग बारात देखते रहे । करीब दो घंटे हमे रास्ते में लग गए ।

द्वाराचार और दावत:

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लड़की वाले के घर पहुंचते ही हमें फूलों के हार पहनाये गए और हिना का इत्र लगाया गया । हमें शीतल पेय पदार्थ पीने को दिये गए । हम लोग थक गए थे । वहां कुर्सियां पड़ी हुई थीं, जिन पर हम लोग बैठकर आराम करने लगे । उधर दूल्हा को घोडी से उतार कर लड़की वाले के मुख्य द्वार पर ले जाया गया, जहां द्वाराचार का कार्यक्रम होने लगा ।

इसी बीच हमें भोजन के लिए बुला लिया गया । यही टेबुलों पर बैठाकर स्टील की थालियो में भोजन की व्यवस्था की गई थी । शहरों की तरह बुफे के बजाय हमारे सामने थालों में कई प्रकार की सब्जियां और अनेक मिठाइयां रखी गईं ।

जब सारा सामान परोस दिया गया, तब हमरने भोजन शुरू करने का आग्रह किया गया । भोजन बड़ा स्वादिष्ट बना था । हम सबने खूब छक कर भोजन किया । इस बीच हमें स्त्रियों के गाने की मधुर ध्वनि सुनाई देती रही ।

भोजन समाप्त कर हम लोग धर्मशाला लौट आए । धर्मशाला का रास्ता केवल दस मिनट का था । लड़की वालों के यही दूल्हा तथा अन्य कुछ निकट के रिश्तेदार तथा वृद्धजन शादी के लिए रुक गए । धर्मशाला पहुंचकर ही हमे नींद ने घेर लिया ।

उपसंहार:

इस बारात में मुझे बड़ा आनन्द आया । शहरों की बारात से अलग, यही की दावत या यात्रा मुझे हमेशा याद रहेगी ।

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