फेरीवाला पर अनुच्छेद | Paragraph on Chapman in Hindi

प्रस्तावना:

शहरों उघैर कस्बों की सडकों पर हर जगह फेरीवाले और खोमचे वाले नजर आते हैं । वह हमारे सडकों की जानी-पहचानी हस्ती है । आमतौर से स्कूलो और कॉलेजों के बाहर खोमचे वाले खूब दिखाई पड़ते है ।

इसके अलावा मेलों, प्रदर्शनियों, सड़क के किनारे और रेलवे स्टेशनों तथा बस अड्‌डों के पास भी उनका जमाव दिखाई देता है । वह ऐसे स्थानों पर आवाज लगा-लगा कर अपना माल बेचता है, जहाँ बहुत-से लोग आते-जाते है । 

उसकी पोशाक:

आमतौर पर फेरी या खोमचे वाला बेढंगी पोशाक पहनता है । वह फटी-सी कमीज और पाजामा पहनता है । अक्सर वह सिर पर पगड़ी बाँधता है । उसकी पगड़ी टोकरे या खोमचे को सिर पर रखने में सहायता देती है । उसके कपड़े पसीने, धूल और गर्द आदि से भरे रहते हैं और उन पर तरह-तरह के धब्बे दिखाई देते हैं ।

अक्सर वह अपनी कमीज से ही डस्टर का काम लेता है । वह अपने बायें हाथ में बांस की लम्बी तिपाई-सी लिए रहता है, जिस पर अपने सामान का थाल या टोकरा रखकर ग्राहकों को माल दिखाता और बेचता है । दाहिने हाथ में कुछ फेरी वाले एक घंटी लिए रहते है, जिसे बजाकर वे लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं ।

बिक्री का सामान:

फेरी वाले रोजमर्रा के इस्तेमाल की साधारण वस्तुएं बेचता है । इनमें सब्जी, फल, साधारण किस्म के कपड़े, बर्तन, मिठाई, आइसक्रीम, भुने हुए चने, साबुन, खिलौने तथा चाट आदि होते हैं । वह जो भी बेचता है, उसे एक बड़ी थाली या टोकरी में सजाकर रखता है ।

वह अपने सामान को ढकता नहीं, बल्कि ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए खुला रखता है । वह थाल में सामान ऐसे लगाता है कि ग्राहको को एक ही दृष्टि में सभी चीजें दिखाई दे जायें । वह घर-घर और मौहल्ले-मौहल्ले में घूमकर चीजें बेचता है । वह तेज आवाज से अपनी वस्तुओं का नाम लेकर आवाज लगाता है । कभी-कभी हाथ की घटी बजाकर अपनी उपस्थिति दर्शाता है ।

उसके आवाज लगाने का ढंग:

फेरी वाले बड़े चालाक होते हैं । उन्हे यह भली-भाँति ज्ञात होता है कि वे किसी बालक, वृद्ध अथवा गुजरते हुए भोले-भाले ग्राहक को कैसे आकर्षित करें । वह अपने अनूठे ढंग से घंटी बजाता है और फिर अपने निजी ढंग के मीठे बोल बोलकर वस्तुओं के नाम बताता है ।

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कभी-कभी वह या गाने लटके गा-गा कर लोगों को बुलाता है । वह अपने शरीर से भी तरह-तरह की मुद्रायें बनाकर लोगो को प्रभावित करता है । वह अपनी वस्तुओं के कूट-सच्चे गुणो का बखान करता है और अपनी वस्तुयें बेचने में सफल हो जाता है ।

उसकी आदतें:

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उसकी आदतें आमतौर पर बड़ी गन्दी और अस्वास्थ्यवर्द्धक होती हैं । उसकी मिठाई और खाने की अन्य वस्तुओं पर मक्खियां भिनभिनाया करती हैं । उसे सफाई और स्वच्छता ज्ञान नहीं होता । ऐसा होते हुए भी खौमचे वाले को देखकर बच्चों के मुँह में पानी भर आता है और वे कुछ-न-कुछ पैसे जेब में डालकर उसके पास दौड़ आते हैं । चाट बेचने वाले खोमचे वालों के सामने बड़े लोगों को भी बड़े स्वाद से चाट खाते देखा जा सकता है ।

उसकी सेवाएं:

फेरीवाले घर बैठे ही हमें अपनी आवश्यकता की वस्तुयें उपलब्ध करा देते हैं । इस तरह वे हमारी बड़ी सेवा करते हैं । लेकिन फेरीवाले अकनर ईमानदार नहीं होते । वे अपनी वस्तुओं की अधिक कीमत बताते हैं । कभी-कभी वह सड़ी-गली और बासी अथवा पुरानी वस्तुयें ऊचे दामों पर बेच जाते हैं । कुछ अधिक कीमत लेने के बावजूद भी लोगों की निश्चय ही बड़ी सेवा करते हैं, जिसके पास बाजार जाकर खरीदने का समय नहीं होता, अथवा वे बाहर जाने मे किसी कारण असमर्थ होते हैं ।

सुधार के कुछ उपाय:

नगर पालिका को फेरीवालों और खोमचेवालों के लिए सफाई के कुछ नियम बनाने चाहिये और उनका कड़ाई से पालन कराया जाना चाहिए । खाने की वस्तुओं को ढ़क कर रखने का आदेश दिया जाना चाहिए । कभी-कभी हेल्थ विभाग के निरक्षकों को उनकी चाट आदि का नमूना लेकर उनका परीक्षण भी करते रहना चाहिए ।

उपसंहार:

फेरीवाले समाज की उपयोगी सेवा करते हैं । अतिवृद्ध, रोगी स्त्रियों तथा बच्चे बड़े-बड़े नगरों में फेरीवालो की प्रतीक्षा करते रहते हैं । फेरीवाला द्वारा कुछ अधिक कीमत लेने पर भी उनकी मांग बनी रहती है ।

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