स्कूल की ओर से सैर पर अनुच्छेद | Paragraph on Excursion from School in Hindi

प्रस्तावना:

पिछले शनिवार को बड़ा सुहावना मौसम था । आकाश बादलों से घिरा था । ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी । इस सुहावने मौसम में हमारा मन पढ़ाई में बिल्कुल नहीं लग रहा था ।

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दूसरे पीरियड़ में हम सभी ने क्लास टीचर से अनुरोध किया कि वे हमें नदी की सैर करा लायें । उन्होंने हमारा अनुरोध मान लिया । उन्होंने प्रिंसिपल की आज्ञा प्राप्त कर ली । इसके बाद हम सभी सैर के लिए रवाना हो गए ।

नदी तट पर हम कैसे पहुँचे ?

कृष्णा नदी हमारे स्कूल से लगभग छ: किलोमीटर दूर है । कुछ लोगों ने रिक्शे से जाने का सुझाव दिया, तो कुछ अन्य लोगो ने साइकिल से जाने का । हमारे अध्यापक ने नदी तक पैदल जाने का फैसला किया । हम सभी ने उनके फैसले का स्वागत किया । हम बड़े प्रफुल्लित मन से नदी की ओर चल पड़े ।

मुश्किल से हम दो किलोमीटर चल पाये थे कि मार्ग में हमें सनातन धर्म सीनियर सेकेण्ड्री स्कूल के विद्यार्थियों की एक अन्य पार्टी भी नदी तट की ओर जाती हुई मिल गई । यह बड़ा सुखद संगम था । दोनो पार्टिया और भी प्रफुल्लित मन से आगे बढ़ने लगी ।

वहाँ हमने कैसे आनन्द मनाया ?

हम हर्ष-ध्वनि करते, उछलते-कूदते सुदी तट की ओर बढ़ते रहे । हम में से कुछ लोग मस्त होकर गीत गाने लगे । दोनो ही दलों ने मार्ग के प्राकृतिक दृश्यों का भरपूर आनन्द उठाया । रास्ते में दो बार हल्की बुंदा-बाँदी हुई । इससे मौसम और भी सुहावना हो गया ।

रास्ते में हममें अनेक ताँगे, बैलगाडियों, ट्रक, बस और कारे मिलीं । इस प्रकार आपस में बतियाते, हँसते-गाते हुए हम लोग नदी तट पर पहुच गए । हमने नदी पर बने पुल को पार किया और पुल के ऊपर से नदी के पानी के तेज बहाव का आनन्द उठाया ।

नदी के दूसरे तट पर पहुंच कर हमने कागज की छोटी-छोटी नावें बनाईं और नदी के पाना मे तैरने के लिए छोड दीं । अब दोनों स्कूलों की पार्टियाँ अलग-अलग हो गईं । हम लोग भी दो दलों में बाँट गए और अलग-अलग खुशियां मनाने लगे । मेरे दल में सोलह लड़के थे ।

हम लोगों ने एक बड़ी नाव किराये पर ली और उसमें सवार होकर नदी के दूसरे तट पर पहुंच गए । अन्य दल ने एक सुनसान स्थान ढूंढ लिया और वहाँ कल्लोल करने लगे । नदी के तट पर हम लोग हंसी-मजाक करते इधर-उधर घूमते रहे ।

इस बीच हमें एक मधुर आवाज सुनाई दी । दूर एक चट्टान पर बैठा कृषक बालक बड़ा तन्मय होकर मधुर गीत गा रहा था । हम खडे होकर उसका गाना सुनने लगे । गाना सुनकर हमें बड़ी प्रसन्नता हुई । लगभग दो घंटे के बाद हम पुन: अपने अन्य साथियों से जा मिले । इस बार हमने पुल से नदी पार की ।

कबड्‌डी मैच और एक लड़के को डूबने से बचाना:

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लगभग 12 बजे हमने खाना खाया । पास के खेत से हमने कुछ खीरे, ककड़ी, खरबूजे आदि तोड़ कर खाये शाम को दोनों दलों के बीच कबड्‌डी का मैच हुआ । मैच चल ही रहा था कि घनघोर घटा छा गई और बड़े जोर से पानी बरसने लगा ।

हम सभी ऊपर से नीचे तक तर-बतर हो गए । हमारा एक साथी नहाने के लिए नदी में उतर गया । उसे तैरना नहीं आता था । ज्यों ही यह थोड़ा आगे बढ़ा, नदी की तेज धारा मे उसके पैर ने टिक सके और वह धार के साथ बहने लगा । वह सहायता के लिए चिल्लाया । मैं बड़ा कुशल तैराक हूं ।

अत: सहायता की पुकार सुनते ही मैंने नदी में छलांग लगा दी और उस लड़के को पकड़ कर नदी के किनारे पर ले आया । वह बेहोश हो गया था । थोड़े से उपचार के बाद जब उसे होश आ गया तो हम सबकी जान में जान आई ।

वापसी यात्रा:

समय तेजी से भागता रहा । शीघ्र ही वापस लौटने का समय गया । अपने-अपने घरों तक पहुँचने के लिए हम पुन: उसी सड़क पर आ गए । पश्चिम में अस्त होते सूरज का दृश्य बड़ा मनोहारी था । वापसी यात्रा भी पहले जैसी ही सुखद रही । हम हंसते-खेलते और गाते हुए चल रहे थे । स्कूल के अहाते तक पहुंचते-पहुंचते एकदम अंधेरा, हो गया था ।

उपसंहार:

हर्ष ध्वनि के साथ हमने एक-दूसरे से विदा ली और अपने-अपने घरों की ओर चल पड़े । हम सभी बड़े प्रसन्न थे । हमारा यह दिन बड़ा खुशगवार गुजरा ।

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