स्कूल मैगजीन और उसके लाभ पर अनुच्छेद | Paragraph on School Magazine and its Benefits in Hindi

प्रस्तावना:

स्कूल मैगजीन एक सावधिक पत्रिका होती है । रकूल के प्रबंधक इसे प्रकाशित करते हैं । अध्यापकों की सहायता से विद्यार्थी इसका प्रबन्ध करते हैं । स्कूल मैगजीन में निबन्ध, कवितायें, कहानियों तथा अन्य लेख होते हैं ।

इन्हें हिन्दी अथवा अंग्रेजी भाषा में विद्यार्थी लिखते हैं । कुछ लेख आदि अध्यापकों द्वारा भी लिखे जाते हैं । मैगजीन के सभी लेख राजनीति से परे होते हैं ।

अन्य पत्रिकाओं से भिन्न:

स्कूल मैगजीन कई दृष्टियों से अन्य पत्रिकाओं से भिन्न होती हैं । यह केवल विद्यार्थियो और अध्यापकों के बीच वितरित होती है । राह सामान्य जनता के लिए नही होती । इसलिए इससे जनता की रुचि का कुछ भी नहीं होता ।

सामान्यतया इससे स्कूल के खेलकूद के समाचार होते हैं । पिछली परीक्षाओं के परिणामों का भी इससे जिक्र होता है । स्कूल का नाम रोशन करने वाले विद्यार्थियों के इसमें फोटो दिए जाते हैं और उनका उल्लेख किया जाता है ।

रकूल मैगजीन के लाभ:

स्कूल मैगजीन के अनेक लाभ होते हैं । एक तो इससे विद्यार्थियों को लेखन को प्रेरणा मिलती है । लड़के आमतौर से स्वभावत: पढ़ने में रुचि लेते हैं और लिखने के काम से जी घुसते है । मैगजीन में लेख देने के लिए उन्हे कुछ-न-कुछ लिखना पड़ता है । अपनी मैगजीन के लिए उन्हे नियमित रूप रने पढ़ना और लिखना पड़ता है । इस प्रकार वे लिखने की कला सीख जाते हैं ।

दूसरे, स्कूल मैगजीन विद्यार्थियों को अधिक लगन के साथ पढ़ने को प्रेरित करती है । स्कूल मैगजीन में अपना नाम और फोटो देखने के लिए वे बड़े उत्साह से खेलकूदों में भी भाग लेते हैं । प्रत्येक स्कूल मैगजीन में विद्यार्थियों की प्रगति का विवरण होता है ।

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इसमें उनके द्वारा जीते गये पुरस्कारों और तमगों का वर्णन होता है । इसलिए वे विद्यार्थी अपनी पढ़ाई और खेलकूद में कठिन परिश्रम करते हैं, जो अपना नाम स्कूल मैगजीन में देखना चाहते है । तीसरे, स्कूल मैगजीन विद्यार्थियो को एक-दूसरे के नजदीक लाने में सहायता करती है । मैगजीन में लेख देने वाले विद्यार्थियों को अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए अन्य बहुत-नही पुस्तके पढ़नी पड़ती हैं । इसके अलावा वे स्वयं विचार करना सीख लेते हैं ।

सोच-विचार से उनकी तर्क बुद्धि प्रखर होती है । मैगजीन के लिए नियमित रूप से लिखते रहने से उनकी लेखन-कला विकसित होती है । इससे उनकी भाषा भी सुधर जाती है और धीरे-धीरे भाषा पर अधिकार हो जाता है । चौथे, मैगजीन की सफलता के लिए वे आपसी सहयोग का महत्व भी पहचान लेते

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हैं । लड़कों के बीच प्रतिद्वन्दिता की सही भावना पैदा होती है । अध्यापको द्वारा लिखे गए निबन्धो और लेखो में विद्यार्थियों के लाभ के लिए अनेक व्यावहारिक सुझाव होते हैं । योग्य अध्यापकों के लेखन से लड़के भी अच्छे लेख लिखना सीख लेते हैं ।

इसका प्रबन्ध:

स्कूल मैगजीन से विद्यार्थियों का, निजी संबंध होता है । वे स्वयं ही इसका प्रबन्ध करते हैं, जिसमें अध्यापक उनका मार्गदर्शन और सहायता करते हैं । इसका मुख्य सम्पादक स्कूल का प्रिंसिपल होता है ।  अध्यापकों तथा विद्यार्थियों की मिली-जुली कमेटी बनाई जाती है, जो इसकी छपाई आदि की व्यवस्था करती है । वरिष्ठ अध्यापकों तथा उच्च कक्षाओं के प्रतिभावान छात्र उप-सम्पादक का काम करते हैं ।

उपसंहार:

हर स्कूल की अपनी निजी मैगजीन होनी चाहिए । स्कूल मैगजीन भावी महान लेखकों के प्रारभिक लेखन का रिकॉर्ड रखती है । स्कूल की मैगजीन का महत्त्व अध्यापक से कम नहीं है । इससे विद्यार्थियों के दिमाग और कलम दोनों की ही नियमित कसरत हो जाती है ।

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