राजनैतिक सिद्धांत और उच्च शिक्षा केन्द्र पर निबन्ध | Essay on Political Ideologies and Institutions of Higher Learning in Hindi!

शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य को योग्य बनाना और मानव मूल्यों की प्रतिस्थापना है । परन्तु आज जब हम उच्च शिक्षा केन्द्रों में राजनैतिक वैमनस्य की बातें सुनते हैं, तो इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि कही न कहीं हमारी व्यवस्था में दोष है । इसी कारण शिक्षा संस्थानों की उपयोगिता और महत्त्व घट गया है ।

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आज विद्यालयों और विश्वविद्यालयी शिक्षा के दौरान विद्यार्थी-वर्ग राजनैतिक सिद्धांतों से प्रभावित होने लगते हैं । इस अवस्था में विद्यार्थियों में विशेष प्रकार के राजनैतिक विचार पनपना आरंभ हो जाते हैं । धीरे-धीरे वे अपना अध्ययन-कार्य बीच में ही छोड्‌कर राजनीति में भाग लेना आरंभ कर देते हैं ।

कॉलेज तथा विद्यार्थी-संघ आदि के चुनावों में कई राजनीतिज्ञ और राजनैतिक संस्थाएं इनकी वित्तीय सहायता, करते हैं । इन राजनीतिज्ञों का उद्देश्य निजी हित होता है, क्योंकि सरकार के चुनाव में तथा प्रदर्शन, घेराव आदि में ये दल अथवा नेता विद्यार्थियों को अपनी चालों का मोहरा बनाते है ।

बाद में, उनका जीवन ही राजनीति के रंग में रंग जाता है । वे अपने से भिन्न राजनैतिक विचार रखने वालों को अपना शत्रु समझते हैं । परिणामस्वरूप उच्च शिक्षा केन्द्रो में सदैव राजनैतिक कुचक्र चलते रहते हैं । इस बात के उदाहरण भी मिलते हैं जबकि वरिष्ठ नेता छोटे नेताओं के कार्यो का श्रेय स्वयं ले जाते हैं, कभी-कभी इसका उलटा भी हो जाता है, जब छोटे नेता फायदा उठा लेते है । सारत: जो असफल, दुबारा उठ नहीं पाता । इन राजनैतिक प्रपंचों का दुष्प्रभाव सबसे पहले शिक्षा पर पड़ता है ।

इन संस्थानों पर पूर्ण अविश्वास की भावना को कम करने का सबसे सरल उपाय विद्यार्थी-वर्ग को राजनीति से दूर रखना है । उन्हें अपने आस-पास घटित होने वाली घटनाओं का ज्ञान अवश्य होना चाहिए, लेकिन राजनीति और स्वार्थी नेताओं की चालों से उन्हें दूर रहना चाहिए । किसी नेता के बातों की बहाव में न आकर स्थिति का स्वयं अवलोकन कर अपनी विचारधारा की विकसित करना चाहिए । राजनैतिक मतभेदों से परे, अपनी शिक्षा की ओर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए ।

केवल तभी वे राष्ट्र के योग्य नागरिक बन सकेंगे और राजनैतिक प्रभाव से मुक्त अपने-उच्च शिक्षा केन्द्रो पर गर्व महसूस करेंगे जहाँ केवल शिक्षा ही योग्यता का मापदंड होगा । हम केवल उस दिन की आशा कर सकते है जबकि हमारे उच्च शिक्षा केन्द्र स्वार्थी नेताओं और उनके विरोधी सिद्धांतों के चंगुल से मुक्त होंगें ।

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