एम विश्वेश्वरैया पर निबंध | Essay on M Visvesvaraya in Hindi

1. प्रस्तावना:

देश के महान् इंजीनियरों में डॉ० मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का नाम अग्रगण्य है । उन्हें आधुनिक मैसूर का निर्माता भी कहा जाता है । उनका जीवन प्रत्येक भारतीय के लिए निःसन्देह प्रेरणा का स्त्रोत है ।

वे अपने दबंग व्यक्तित्व एवं देश सेवा के लिए किये गये महान् कार्यों के लिए जाने जाते रहेंगे । गुलाम भारत के स्वतन्त्र होने के बाद तकनीकी एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उन्होंने जो कार्य किये, वह आधुनिक भारत के निर्माण के लिए महत्त्वपूर्ण कदम साबित हुए ।

2. जीवन परिचय एवं उनका योगदान:

डॉ० मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म दक्षिण भारत में सन् 1861 में हुआ था । इंजीनियरिंग की पढ़ाई उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने पी०एच०डी० की पढ़ाई भी पूर्ण की । उनका बचपन काफी कठिनाइयों एवं संघषों में बीता । उन्होंने ट्‌यूशन कर अपनी पढ़ाई पूरी की । डॉ० विश्वेश्वरैया ने हैदराबाद की मूसी नदी में आने वाली बाढ़ के कारण उस शहर की जन-धन की होने वाली अपार हानि को समाप्त किया । हैदराबाद के निजाम के आग्रह पर उन्होंने नदी पर सक्कर बांध का निर्माण करवाया ।

पहली बार बांध निर्माण कर बाढ़ को नियन्त्रित करने का प्रयास डॉ० विश्वेश्वरैया ने ही किया था । हालांकि इस कार्य में उन्हें काफी कठिनाइयों एवं बाधाओं का सामना भी करना पड़ा । उनके कार्यों से प्रभावित होकर मैसूर के राजा ने उन्हें नालियों तथा पानी निकासी की समस्या का समाधान करने हेतु अपने शहर आमन्त्रित किया । इस कार्य में भी उन्होंने भूमिगत नालियों का निर्माण करते हुए पानी निकासी के व्यापक प्रबन्ध किये ।

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सिंचाई के साधनों के विस्तार में भी उनका योगदान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण था । उन्होंने आर्थिक नियोजन के माध्यम से देश की उन्नति और विकास कार्यों में गति देने हेतु एवं निर्धारित समय में उद्देश्यों की पूर्ति हेतु पंचवर्षीय योजनाओं का सूत्रपात किया । उन्होंने विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र के विकास हेतु कई कारखानों का निर्माण भी करवाया ।

शिक्षा के क्षेत्र में भी उनका योगदान विशेष रहा है । विश्वेश्वरैयाजी ने मैसूर विश्वविद्यालय की स्थापना की, साथ ही व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु इंजीनियरिंग कॉलेजों के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा केन्द्रों, जैसे-आई०टी०आई० संस्थानों का निर्माण भी करवाया ।

डॉ० विश्वेश्वरैया का जीवन उनके कार्यों की तरह ही महान् था । वे चौबीस घण्टों में अधिकांश समय में काम किया करते थे । उनका जीवन बड़ा ही संयमित था । वे समय पर खाते थे, समय पर सोते थे, समय पर जागते थे । उनकी नियमित पढ़ाई की आदत हमेशा बनी रही । वे शाकाहारी भोजन ही ग्रहण करते थे । समय को वे बहुत महत्त्व दिया करते थे । परिश्रम और ईमानदारी उनके जीवन का आदर्श थे ।

उनके समाजसेवी कार्यों के लिए उन्हें संस्थाओं द्वारा पुरस्कार स्वरूप जो धनराशि प्राप्त होती थी, वे उसे शिक्षा एवं समाज सेवा में लगा देते थे । उन्होंने कभी किसी काम को बोझ नहीं माना । प्रत्येक काम को बड़ी निष्ठा से निभाते थे । विश्वेश्वरैयाजी ने सौ वर्ष का जीवन जीया । जिसका श्रेय उन्होंने संयमित जीवन व कर्म के प्रति निष्ठा को दिया ।

3. उपसंहार:

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डॉ० मोक्षगुंडम वश्वेश्वरैया देश के प्रसिद्ध इंजीनियर, राजनेता व प्रशासक थे । ”रिकांस्ट्रक्टिंग इण्डिया” व ”प्लाण्ड इकोनॉमी फॉर इण्डिया” उनकी प्रसिद्ध कृतियां हैं । उन्हें 1955 में ”भारत रत्न” से भी सम्मानित किया गया । देश-विदेशों में भी उन्हें अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए थे । इस महान् इंजीनियर का निधन सन् 1962 में हुआ । वे अपने महान कार्यों व जीवनादर्शों के लिए हमेशा हमारी स्मृतियों में बने रहेंगे ।

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