जुजिप्पै गैरीबाल्डी पर निबन्ध | Essay on Giuseppe Garibaldi in Hindi

1. प्रस्तावना:

इटली के उद्धार में मेजिनी, कैबूर तथा जुजिप्पै गैरीबाल्डी का नाम युगों-युगों तक जाना जाता रहेगा । गैरीबाल्डी ने देशभक्त मेजिनी के अधूरे स्वप्न को आगे बढ़ाया और इटली के एकीकरण तथा स्वतन्त्रता हेतु अपने जीवन का बलिदान कर दिया । साहस और आदर्श का पर्याय गैरीबाल्डी आधुनिक इटली के जन्मदाताओं में से एक थे ।

इटली की समस्त जनता को धार्मिकता की आड़ में शोषण का शिकार बनाने वाले पोप से मुक्ति दिलाने में भी गैरीबाल्डी की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है । इटली को स्वतन्त्र एवं सम्पन्न राष्ट्र के रूप में देखने का स्वप्न देशभक्त गैरीबाल्डी ने देखा था, जिसे हर सम्भव तरीके से पूर्ण करने का आजीवन प्रयास किया ।

2. जीवन वृत्त एवं उपलब्धियां:

गैरीबाल्डी का जन्म 1807 में फ्रांस के नाइस नामक कस्बे में एक नाविक परिवार में हुआ था । वह मेजिनी से 2 वर्ष छोटा और कैबूर से 3 वर्ष बड़ा था । अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण कर वह युवावस्था में भी नाविक बना रहा । युवावस्था में उसके मन में अपने देश इटली की पराधीनता से मुक्ति का भाव ऐसा उत्पन्न हुआ कि वह यंग इटली नामक क्रान्तिकारी संगठन का सदस्य बन गया।

1833 में मेजिनी के साथ सहयोग करते हुए उसने फ्रांस की 8 हजार सुशिक्षित सेना का तीन सौ स्वयंसेवकों, चार सौ कॉलेज के छात्रों, तीन सौ कुलीन लडकों और तीन सौ कुलीन इटालिनों के साथ साहसपूर्वक मुकाबला किया । पराजय के अन्तिम क्षणों में भी वह अपने एक हजार साथियों के साथ फ्रांसीसी सेना से मुकाबला करता रहा ।

इस लडाई में 250 फ्रांसीसियों को बन्दी बनाने में उसे सफलता मिली । एक महीने बाद नेपल्स के बादशाह ने 20 हजार फौज लेकर रोम पर धावा बोला । गैरीबाल्डी ने अपनी थोड़ी सी सेना के दम पर उनको मार भगाया । 25 दिन तक गैरीबाल्डी के नेतृत्व में इटली की जनता फ्रांसीसियों से लड़ती रही ।

गैरीबाल्डी ने देश की आजादी के लिए 30 हजार स्वयंसेवकों की फौज के साथ चार्ल्स अलबर्ट की सहायता की । 25 जुलाई 1848 को पिडमौंट-सार्डीनिया की हार हुई । इस तरह चार्ल्स अलबर्ट को सन्धि करनी पड़ी । गैरीबाल्डी ने युद्ध जारी रखा ।

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इस बीच रोम में क्रान्ति हुई । मेजिनी के नेतृत्व में रोम गणराज्य की स्थापना हुई । गैरीबाल्डी वहीं चला आया । फ्रांस के पोप ने जब रोमन गणराज्य पर हमला किया, तो गैरीबाल्डी ने काफी दिनों तक फ्रांस की सेना को छकाया । अन्तत: हार होने पर गैरीबाल्डी को हार के बाद अमेरिका भागने पर विवश होना पड़ा ।

वहां 6 वर्षों तक रहकर काफी धन एकत्र कर वह 1854 में इटली लौट आया और सार्डीनिया के पास परेरा नामक टापू खरीदकर वहीं रहने लगा । 1856 में कैबूर के साथ मिलकर उसने इटली के एकीकरण का वास्तविक कार्य शुरू कर दिया । गैरीबाल्डी ने अपनी सेना का नाम ”रेड शर्ट” रखा ।

अपने सेना के माध्यम से नेपल्स और सिसली पर जीत दर्ज की । 1870 तक वह इटली के एकीकरण की लड़ाई हेतु निरन्तर सक्रिय रहा और छोटे-छोटे राज्यों को संगठित करने में लग गया । सेवाय पर असफल आक्रमण के बाद वह दक्षिण अमेरिका भाग आया और अमेरिका के न्यूयार्क में एक टापू पर रहकर मोमबत्तियां बनाकर निर्वासित जीवन जीने लगा ।

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उसे वहां पर स्थानीय शासक द्वारा क्रूरतापूर्वक गिरफतार कर लिया गया और उस पर अमानुषिक अत्याचार किये गये । अत्याचारों को सहकर भी उसने अपने स्वयंसेवकों का नाम नहीं बताया । वह लौंगरेन्डी आकर वहां स्वाधीनता संग्राम के लिए पुन: सक्रिय हो गया । फिर मोन्दोवियो के बन्दरगाह में पहुंचने पर उसके लड़ाकू साथियों द्वारा उसकी उचित सेवा-सुश्रुषा की गयी । गैरीबाल्डी स्वस्थ हो गया ।

नवम्बर 1860 में उसने इटली के जीते हुए प्रदेशों का एकीकरण हेतु जनमत संग्रह करवाया । इस जनमत संग्रह से एकीकरण हेतु जनता की सहमति का पता चला । संयुक्त इटली का राजा गैरीबाल्डी ने विक्टर इमेनुअल को घोषित करवाया । देशभक्त गैरीबाल्डी ने अपने इन कार्यों के लिए विक्टर इमेनुअल द्वारा पद और सम्मान को लेना अस्वीकार कर दिया ।

परेरा लौटकर कृषि-कार्य में लग गया । कैबूर की मृत्यु के पश्चात् 1861 में गैरीबाल्डी ने रोम पर आक्रमण किया । विक्टर इमेनुअल के विरोध के बाद उसे इंग्लैण्ड भागना पड़ा । 1867 में उसने रोम पर आक्रमण किया । असफल होने की दशा में पुन: परेरा आकर रहने लगा । गैरीबाल्डी ने अपनी आत्मकथा में यह लिखा था कि वह हमेशा विवाह के विरुद्ध रहा था ।

स्वाधीनता संग्राम में भाग लेने के कारण यह सम्भव नहीं था कि वह अच्छा वैवाहिक जीवन जिये । जब उसके एक-एक साथी युद्ध में शहीद होते रहे, गैरीबाल्डी अकेला हो गया । उस समय जहाज पर बैठा वह दूरबीन लगाये इधर-उधर के दृश्यों को देखकर अपना मन लगाने की कोशिश में था, तभी उसे एक सुन्दर रमणी दिखाई दी ।

उस पर मोहित होकर उसने रमणी के गांव का पता लगाया और उससे विवाह कर लिया । गैरीबाल्डी की पत्नी एनिटा ने उसके जीवन को सुखों से भर दिया । इटली के एकीकरण के संघर्ष में वह उसका पग-पग पर साथ देती रही ।

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लॉगरेडी के जंगलों में भटकता हुआ अपने दुश्मनों से लड़ता गैरीबाल्डी बचाव के लिए भाग निकला था । इस युद्ध में गैरीबाल्डी की पत्नी एनिटा को बन्दी बनाकर फौजी अफसर के सामने लाया गया और उसका मनोबल तोड़ने के लिए सैनिकों ने कहा- ”गैरीबाल्डी युद्ध में मारा गया है ।”

एनिटा ने अपने पति का शव खोजने की अनुमति मांगी । गैरीबाल्डी का कोट उसे जंगल में एक बुढ़िया से मिला, तो वह किसानों के कपड़े पहनकर जंगल भाग निकली । गर्भवती एनिटा को 60 मील के भटकाव-भरे सफर में जंगली बेरों के सिवा कुछ खाना नसीब नहीं हुआ । यह उसका विश्वास ही था कि उसका पति उसे अर्द्धमूर्च्छित अवस्था में मोंटीवीडियो के द्वीप पर पड़ा मिला ।

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गैरीबाल्डी की वीर पत्नी एनिटा 25 दिनों तक फ्रांसीसियों के साथ चले युद्ध में दल के साथ पुरुष वेश में लड़ती रही । निरन्तर भूख-प्यास और ठण्ड को सहते हुए उसे मक्के के खेत में छिपना पड़ा । प्यास के मारे उसकी जान निकल रही थी । गैरीबाल्डी उसे पास ही के एक गांव में ले आया । जब तक वह उसे पानी पिलाता, तब तक उसके प्राण-पखेरू उड़ चुके थे ।

अपना समस्त जीवन मातृभूति तथा दीन-हीन की सेवा में बिताते हुए गैरीबाल्डी जीवन के अन्तिम दिनों में अपंग-सा हो गया था । 2 जून 1882 को 75 वर्ष की आयु में उसने अपनी अन्तिम सांस ली । उसकी मृत्यु पर सारा देश रो पड़ा । इटलीवासियों ने उसकी याद में उसका एक स्मारक भी बनाया ।

3. उपसंहार:

आधुनिक इटली के निर्माता के रूप में गैरीबाल्डी को मेजिनी के साथ-साथ हमेशा याद किया जाता रहेगा, जिसने अपने व्यक्तिगत स्वार्थों की परवा किये बिना अपना समूचा जीवन अपने देश की सेवा तथा दीन-दुखियों की सेवा में बिताया ।

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